रुड़की। चौदह माह पहले स्वजनों से बिछड़ा किशोर गूगल की मदद से स्वजनों से मिल गया। अपने खोए हुए बेटे को पाकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां-बाप की आंखों से आंसू छलक पड़े। गुरुवार को परिजन किशोर को लेकर घर के लिए रवाना हो गए हैं।
उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव के ग्राम शफीपुर निवासी कमलेश का 13 वर्षीय पुत्र मिथिलेश 14 माह पहले मेला देखने के लिये गया था। मेले में उसे देर हो गई। जिस पर परिजनों ने फोन पर डांट दिया। परिजनों की डांट से घबराकर वह अपनी नानी के यहां जाने के लिए ट्रैन में बैठ गया। गलत ट्रैन पकड़ने के कारण वह उन्नाव से ढंढेरा पहुंच गया। इसी दौरान एक कबाड़ी ने उसे अपने पास रखा, लेकिन लॉकडाउन में कबाड़ी भी चला गया। बाद में ढंडेरा निवासी इमरान ने बालक को अपने पास रखा और उससे पूरी जानकारी जुटाने के बाद ही उसने उसे अपने दफ्तर पर रख लिया। तभी से वह राव इमरान के दफ्तर पर रह रहा था। इसी दौरान राव इमरान ने बालक के परिजनों तक पहुंचने के लिए गूगल का सहारा लिया।
सोशल मीडिया से परिजनों का पता चल गया। जैसे ही बालक के परिजनों को उसके जिंदा होने की जानकारी मिली तो वह खुशी से झूम उठे। गुरुवार की सुबह बालक की माता फूल दुलारी, पिता कमलेश और दादा रामपाल ढंडेरा पहुंचे और 14 माह पहले गायब हुए अपने बच्चे को देखकर उनकी आंखों से आंसू छलक उठे। इस दौरान बालक की माता फूल दुलारी ने बताया कि उन्होंने बालक के जिंदा होने की आस छोड़ दी थी, लेकिन राव इमरान की मेहनत रंग लाई। इसके चलते उन्हें उनका खोया हुआ पुत्र 14 माह बाद मिल गया है। परिजन बालक को लेकर घर के लिए रवाना हो गए है।