अयोध्या। राम जन्मभूमि मंदिर – बाबरी मस्जिद को लेकर दशकों तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई। इस दौरान हिंदू-मुसलमानों के बीच कुछ दरार आई जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से पटती दिख रही है। यह अनुमान और अंदाजा नहीं हकीकत है। आज भगवान राम को लेकर कई मुसलमान अपनी आस्था का खुलकर इजहार कर रहे हैं।

फैज खान छत्तीसगढ़ के अपने गांव से ईंट लाकर अयोध्या पहुंचा रहे हैं ताकि वो भगवान राम के मंदिर में उनका योगदान सुनिश्चित हो सके। ये सभी मुसलमान राम को ‘इमाम-ए-हिंद’ कहते हैं। वो कहते हैं राम राजपूत थे और इस तरह वो कई मुसलमानों के पूर्वज हैं क्योंकि राजपूतों के पूर्वजों ने भी धर्म परिवर्तन किया था।

फैजाबाद निवासी जमशेद खान कहते हैं, ‘हम इस्लाम में परिवर्तित हुए और उसकी की पूजा पद्धति स्वीकार की लेकिन धर्म बदलने का मतलब यह नहीं है कि हमारे पूर्वज भी बदल गए। हम राम राम को अपना पूर्वज मानते हैं और हम हिंदू भाइयों के साथ (राम मंदिर भूमि पूजन) का जश्न मनाएंगे।’

मुस्लिम कार सेवक संघ के मोहम्मद आजम खान ने भी यही विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘हमारी पूजा पद्धति बदल गई लेकिन हमारे पूर्वज वही हैं। राम हमारे पूर्वजों में एक हैं। वो सबके हैं।’

उसी तरह सईद अहमद ने कहा, ‘हम भारतीय मुसलमान राम को इमाम-ए-हिंद मानते हैं और मैं मंदिर निर्माण का जश्न मनाने अयोध्या जाऊंगा।’ सईद पक्के मुस्लिम हैं, उन्होंने मक्का जाकर हज भी किया है लेकिन राम पर उनकी आस्था अपार है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अवध प्रांत के इनचार्ज डॉ. अनिल सिंह कहते हैं, ‘पूरे भारत से कई मुसलमान कार सेवक राम मंदिर निर्माण का जश्न मनाने अयोध्या आ रहे हैं।’ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के ही सैयद अशरफ ने अयोध्या की अनोखी संस्कृति को संजोने को काफी उत्सुक हैं। उन्होंने कहा, ‘हम गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ा रहे हैं और हम इस भूमि पूजन समारोह में हिस्सा लेंगे।’

फैजाबाद के राशिद अंसारी कहते हैं, ‘अगर हमें उस पवित्र जगह पर जाने की अनुमति मिल जाए जहां प्रधानमंत्री भूमि पूजन करेंगे तो यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। अगर सुरक्षा घेरा हमें वहां जाने से रोकेगा तो बाहर में ही जश्न मनाएंगे।’

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