लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय में आयोजित विज्ञान भारती के पांचवें राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयंत सहस्रबुद्धे समेत कई प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय मनीषा ने ज्ञानार्जन के लिए कभी अवरोध को स्वीकार नहीं किया। भारतीय दृष्टि अपने आप में वैज्ञानिक दृष्टि है। मनुष्य और प्राणी में ही संवेदना नहीं है बल्कि पेड़ पौधों में भी संवेदना है। सर जगदीश चंद्र बसु ने दुनिया को यह दृष्टि दी। भारतीय संस्कृति और परंपरा की आधारभूमि कही जाने वाली नगरी लखनऊ में विज्ञान भारती का यह आयोजन एक सुखद अनुभूति करा रहा है। देश के विभिन्न प्रांतों से आए प्रतिनिधियों का मैं स्वागत करता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवोदित वैज्ञानिक शोध परक लेखन करें और अपना पेटेंट कराएं। विज्ञान भारती इस दिशा में नेतृत्व रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपने ज्ञान को धार्मिक दृष्टि से तो अंगीकार किया, लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से अंगीकार नहीं कर पाए इसलिए जिस क्षेत्र में आप हैं लेखन करें। योगी ने कहा कि विज्ञान क्या है, किसी भी नए ज्ञान को हम विज्ञान मान लेते हैं। विज्ञान भारती को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी संस्था का वरद हस्त है। संघ एक वैज्ञानिक दृष्टि से देश एवं समाज हित में काम करता है। संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार स्वयं एक वैज्ञानिक और चिकित्सक थे। संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी एक वैज्ञानिक थे। संघ के सभी सरसंघचालक वैज्ञानिक दृष्टि से ओतप्रोत रहे हैं।

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय महामंत्री सुधीर भदौरिया ने कहा कि इस अधिवेशन में 29 प्रांतों के प्रतिनिधि आए हैं। अधिवेशन में समसामयिक विषय, संगठनात्मक और विज्ञान भारती की वैचारिक भूमिका पर चर्चा होगी।

सुपर कंप्यूटर के जनक डॉ. विजय बांटकर ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म एक साथ जुड़े हैं। जिस राष्ट्र में अध्यात्म और विज्ञान की पूजा होती है वह राष्ट्र विकास करता है। उत्तर प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और अध्यात्म के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है।

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शेखर मांडे ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। वैज्ञानिक प्रगति केवल पाश्चात्य देशों ने ही नहीं की है। इस अवसर पर सुपर कंप्यूटर के जनक डॉ विजय को विज्ञान भारती की तरफ से मान पत्र सौंपा गया। इस अवसर पर अतिथियों ने स्वतंत्रता आंदोलन एवं विज्ञान, स्वतंत्रता संग्राम की अनकही कहानी और विज्ञान भारती की स्मारिका का विमोचन किया। विज्ञान भारती के अवध प्रांत अध्यक्ष प्रो. सरोज बारिक ने धन्यवाद ज्ञापित किया

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