वॉशिंगटन। अंतरराष्‍ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने चेतावनी दी है कि सूरज जहां धरती के जीवों के लिए ऊर्जा का स्रोत है, वहीं यह हमारे लिए तबाही का सबब भी बन सकता है। एक ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने कहा कि सूरज से निकला महाविनाशक तूफान इंसानियत को अंधेरे के युग में वापस भेज सकता है। इससे कई हजार सालों में हुआ इंसानी विकास खत्‍म हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने इसी तरह की अद्भुत घटना को धरती से 100 प्रकाश वर्ष की दूरी पर देखा है।यह सौर तूफान शानदार आतिबाजी की तरह से नजर आ रहा है और वैज्ञानिकों ने इसे ‘चिंताजनक’ करार दिया है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में कहा क‍ि इस तरह की विनाशक सौर लपटें धरती को भी निशाना बना सकती हैं। उन्‍होंने कहा कि यह उपग्रहों को जलाकर राख कर देगा और पूरे शहर के पावर ग्रिड बर्बाद हो जाएंगे। इससे दुनिया में हर तरफ अंधेरा छा जाएगा और फोन नेटवर्क काम करना बंद कर देंगे।
जानें क्‍या होता है कोरोनल मास इजेक्शन
इस सितारे को EK Draconis नाम दिया गया है, जिसका मतलब ड्रैगन होता है। यह ड्रैगन की तरह से आग उगल रहा है। यह उत्‍तरी आकाश में ड्रेको तारामंडल में स्थित है। कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सूरज के बाहरी वायुमंडल में होने वाले विस्फोट के कारण पैदा हुए प्लाज्मा पार्टिकल्स के उत्सर्जन को कहते हैं। यह अक्‍सर होता रहता है और बहुत तेजी से अंतरिक्ष में एक-जगह से दूसरी जगह पर पहुंचता है।ये सौर तूफान धरती के लिए बहुत ही बुरी खबर है क्‍योंक‍ि प्र‍त्‍येक 100 साल या उसके बाद में ये तूफान धरती की ओर निकलते हैं। इस शोध को करने वाले अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के शोधकर्ता डॉक्‍टर यूता नोत्‍सू ने कहा कि सीएमई का धरती और मानव समाज पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इस शोध को करनी वाली अंतरराष्‍ट्रीय टीम ने पाया कि EK Draconis सितारे की ओर भयानक ऊर्जा जा रही है। साथ ही अब तक जितनी सौर लपटें देखी गई हैं, उनसे यह ज्‍यादा शक्तिशाली है।
  • नेचर कम्यूनिकेशन्स में छपी स्टडी में लॉस ऐंजिलिस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, वीटन कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ आइओवा और स्पेस साइंस इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस थिअरी को साबित किया है। इसके लिए UCLA की बेसिक प्लाज्मा साइंस फसिलटी में लार्ज प्लाज्मा डिवाइस पर एक्सपेरिमेंट किए गए। यहां धरती के मैग्नेटोस्फीयर जैसी कंडीशन्स बनाई गईं और फिर ऐल्फेन वेव्स को प्लाज्मा डिवाइस के 20 मीटर लंबे चैंबर में लॉन्च किया गया।

 

माना जाता है कि ऐल्फेन वेव्स स्पेस के प्लाज्मा में थोड़े ही इलेक्ट्रॉन्स कलेक्ट करती हैं। इसलिए फिजिसिस्ट्स ने यह पता लगाने की कोशिश की क्या कैसे ऐसे भी इलेक्ट्रॉन्स हैं जो वेव्स की इलेक्ट्रिक फील्ड जैसे रेट से ट्रैवल कर रहे हों। इन्हें ढूंढना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इनकी संख्या काफी कम होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ आइओवा के असोसिएट प्रफेसर ऑफ फिजिक्स ग्रेगरी हाउज ने बताया कि इन इलेक्ट्रॉन्स में ऐल्फेन वेव की इलेक्ट्रिक फील्ड की वजह से रेजोनेन्ट ऐक्सलरेशन होता है, जैसे कोई सर्फर लहर को पकड़ने की कोशिश कर रहा हो और साथ में लहर के साथ ही आगे बढ़ते हुए तेज रफ्तार भी पकड़ रहा हो। (ESA/NASA)

 

  • हाउज ने बताया कि ऐल्फेन वेव्स जियोमैग्नेटिक तूफानों के बाद देखी जाती हैं। ये तूफान सूरज में विस्फोट होने पर कोरोनल मास इजेक्शन से निकलते हैं। इनसे धरती की मैग्नेटिक फील्ड में मैग्नेटिक रीकनेक्शन होता है। इस दौरान मैग्नेटिक फील्ड लाइन्स रबर बैंड की तरह खिंचती हैं और फिर जोर से रीकनेक्ट हो जाती हैं। इनकी वजह से धरती की ओर ऐल्फेन वेव निकलती हैं। किसी सोलर स्टॉर्म के दौरान मैग्नेटिक रीकनेक्शन के क्षेत्र में शिफ्ट, ऐल्फेन वेव्स और उनके साथ चल रहे इलेक्ट्रॉन्स अलग-अलग फील्ड लाइन में होते हैं, इससे कई रंगों की रोशनी aurora की शक्ल में हमें दिखाई देती है। (NASA)

धरती की मैग्नेटिक फील्ड सौर तूफानों से करती है रक्षा
विशेषज्ञों को भय है कि यह विनाशक लपटें इस सदी के अंत तक हमारी धरती से टकराएंगी। जापानी शोधकर्ता कोसूके नामेकाटा ने कहा कि धरती से टकराने वाली लपटें भी उसी तरह से शक्तिशाली हो सकती हैं। बता दें कि धरती की मैग्नेटिक फील्ड हमें इन सौर तूफानों के कारण होने वाले किसी संभावित नुकसान से बचाती हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक बड़े CME में अरबों टन मैटर लाखों मील प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। सूरज में होने वाले विस्फोट से निकल रहे इन पार्टिकल्स आमतौर पर जब धरती के वायुमंडल से टकराते हैं तो Aurora के रूप में इनका असर दिखाई देता है।

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