New Delhi : केंद्रीय परिवहन और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाहों को समाज के नियमों और परंपराओं के खिलाफ बताया है। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुये कहा कि ऐसी व्यवस्थायें समाज की संरचना को नुकसान पहुंचा सकती हैं और सामाजिक ढांचे को गिरा सकती हैं। नितिन गडकरी ने यह बातें एक यूट्यूब इंटरव्यू के दरम्यान कही।
इंटरव्यू के दौरान नितिन गडकरी ने बताया कि जब वे लंदन की ब्रिटिश संसद में गये थे, तो वहां के PM और विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान उन्होंने उनसे पूछा कि उनके देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है। गडकरी ने कहा, “मैंने उन्हें गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी जैसी समस्याओं का जिक्र किया। लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वहां के अधिकांश युवा शादी नहीं कर रहे हैं।”

गडकरी ने कहा कि यदि युवा शादी नहीं करेंगे, तो बच्चों का जन्म कैसे होगा और समाज का भविष्य क्या होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की समस्याएं भारतीय समाज में भी गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को जन्म दें और उनकी परवरिश करें। उन्होंने कहा, “अगर आप एक दिन कहें कि आपने बच्चों को केवल आनंद के लिए पैदा किया और उनकी जिम्मेदारी नहीं निभाई, तो यह समाज के लिए विनाशकारी होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि लिव-इन रिश्ते और समलैंगिक विवाह समाज की परंपरागत धारणाओं को तोड़ते हैं और इनके कारण भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

गडकरी ने समाज में लिंग अनुपात के असंतुलन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यदि महिलाओं और पुरुषों का अनुपात बिगड़ता है और महिलाओं की संख्या 1500 हो जाती है जबकि पुरुष 1000 रह जाते हैं, तो हमें पुरुषों को दो पत्नियां रखने की अनुमति देनी पड़ सकती है।” उन्होंने यह भी कहा कि समलैंगिक विवाहों के कारण समाज की संरचना टूट सकती है और यह सामाजिक संतुलन के लिए हानिकारक होगा।

जब गडकरी से पूछा गया कि क्या आदर्श भारत में तलाक को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, तो उन्होंने कहा, “बिल्कुल नहीं। तलाक का अधिकार होना चाहिए, लेकिन लिव-इन रिश्ते सही नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे रिश्ते भारतीय समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के अनुकूल नहीं हैं। गडकरी ने कहा कि “मैंने केवल वही बताया जो मुझे गलत लगा. लेकिन अंततः यह समाज पर निर्भर करता है कि वह क्या अपनाता है और क्या खारिज करता है।”

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