नई दिल्ली: 15 जून की रात को गलवान घाटी में एक बार नहीं बल्कि तीन बार, भारत और चीन के सैनिकों के बीच लड़ाई हुई थी. भारतीय जवानों पर चीन के सैनिकों ने धोखे से हमला किया, इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने ऐसा जवाब दिया जिसे चीन के सैनिक वर्षों तक याद रखेंगे. क्योंकि भारत के सैनिकों ने चार घंटे के अंदर ही जवाबी हमले में चीन के कई सैनिकों की गर्दन तोड़ दी. चीन के कई सैनिकों की रीढ़ की हड्डियां तोड़ दी. हमारे जवानों ने चीन के 40 से 50 सैनिकों को मार गिराया. सिर्फ यही नहीं, भारतीय सेना ने चीन की सेना के एक कर्नल को भी बंधक बना लिया था. ये सब जानकारियां हमने ग्राउंड जीरो पर मौजूद सैनिकों और सेना के सूत्रों से इकट्ठा की हैं.

15 जून की शाम को 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू, जो गलवान घाटी में शहीद हुए हैं, वो अपने कुछ सैनिकों को लेकर विवाद की जगह पर ये देखने गए थे कि चीन ने जो बातें मानी थीं, उन बातों का वो पालन कर रहा है या नहीं. कर्नल संतोष बाबू 30 से 35 सैनिकों के साथ उस जगह पर गए थे और वो खुद इसलिए भी गए थे, क्योंकि वो जानते थे कि ये मामला कितना संवेदनशील है.

यहां पर ये बात भी ध्यान देने वाली थी, कि सैनिकों को लेकर कर्नल संतोष बाबू, जब विवाद की जगह पर चीन के कैंप के पास पहुंचे, तो उन्हें चीन के वो पुराने सैनिक नहीं दिखे, जो पहले इस इलाके में दिखते थे. यानी चीन ने पुराने सैनिकों की जगह पर नए सैनिक तैनात कर दिए थे. इन नए सैनिकों को ना तो भारतीय सैनिकों से बातचीत का तरीका पता था, ना ही इन्हें LAC पर नियमों और परंपराओं का पता था.

कर्नल संतोष बाबू ने जब इन सैनिकों से बातचीत शुरू की और पूछा कि जब पोस्ट को हटाने की बातचीत हो गई थी, तो चीन के सैनिकों ने फिर से ये पोस्ट क्यों बना ली. इसी पर चीन के नए सैनिक उग्र हो गए. उनमें से चीन के एक सैनिक ने आगे आकर कर्नल संतोष बाबू को धक्का दे दिया. अपने कमांडिंग अफसर के साथ धक्का-मुक्की, भारतीय सैनिकों के लिए बर्दाश्त से बाहर था. इसे देखकर भारतीय सैनिक गुस्से में आ गए और उन्होंने जवाब में चीन के नए सैनिकों की पिटाई शुरू कर दी. भारत के सैनिकों ने वहां पर मौजूद चीन की पोस्ट को भी नष्ट कर दिया. इस लड़ाई में चीन के कई सैनिक घायल हुए और भारत के भी कई सैनिक घायल हुए. चीन के कई सैनिक वहां से भागे भी, लेकिन ये सिर्फ लड़ाई का पहला राउंड था.

कर्नल संतोष बाबू इस वक्त ये समझ गए थे कि टकराव बड़ा हो सकता है, इसलिए उन्होंने अपने घायल सैनिकों को वापस भारतीय पोस्ट पर भेज दिया और वहां से ज्यादा संख्या में जवानों को भेजने के लिए कहा. क्योंकि गलवान घाटी की इस जगह पर लड़ाई का दूसरा राउंड तब शुरू हुआ, जब कर्नल संतोष बाबू की टीम इस जगह से आगे बढ़ी और देखा कि चीन ने इसके आगे तो, बड़ी संख्या में सैनिक ताकत जुटा ली है.

लेकिन अब तक चीन के सैनिक घात लगाकर ज्यादा संख्या में आ गए. दूसरे राउंड की लड़ाई 15 जून को रात करीब 9 बजे तक चली और कर्नल संतोष बाबू इसी लड़ाई में शहीद हुए. जब ये खबर भारतीय सैनिकों को मिली, तो उनके गुस्से की कोई सीमा नहीं थी. क्योंकि भारतीय सेना में कमांडिंग अफसर को सैनिक पितातुल्य समझते हैं. कमांडिंग अफसर को हाथ लगाना तो दूर, उनसे अभद्र भाषा में बात करना भी सैनिक बर्दाश्त नहीं करते.

ऐसे में जब कमांडिंग अफसर की बर्बर हत्या की खबर मिली, तो भारत के सैनिकों के क्रोध की कोई सीमा नहीं रही. यहीं से उस रात की लड़ाई का तीसरा राउंड शुरू हुआ, जो सबसे भयानक था और जिसमें सबसे ज्यादा सैनिकों की जान गई. तीसरे राउंड की लड़ाई करीब आधी रात तक चली.

कर्नल संतोष बाबू की शहादत की खबर के बाद ना सिर्फ 16 बिहार रेजीमेंट बल्कि आसपास के इलाके में जो दूसरी टुकड़ियां तैनात थीं, वो भी टकराव की जगह पर पहुंच गईं. बहुत ही जल्द वहां पर 400 से 500 सैनिक इकट्ठा हो गए और फिर चीन के सैनिकों के साथ वो हिंसक टकराव हुआ, जिसमें हमारे 20 सैनिक शहीद हुए और चीन के 40 से 50 सैनिक मारे गए. इस तीसरी लड़ाई में दोनों देशों के कई सैनिक लड़ते-लड़ते गलवान नदी में गिर गए.

तीसरे राउंड की लड़ाई में 16 बिहार रेजीमेंट के साथ, इस रेजीमेंट के घातक प्लाटून, ‘Three मीडियम’ रेजीमेंट और तीसरी पंजाब रेजीमेंट के सैनिक भी थे. हमारे सैनिकों ने एक खास जगह पर, जहां पर चीन का कर्नल खड़ा था, वहां पर हमला किया. भारतीय सैनिकों ने चीन के कर्नल को जिंदा पकड़ लिया और वहां मौजूद चीन के 7 सैनिकों को तुरंत मार गिराया.

भारत के सैनिकों ने भागते हुए चीन के कई सैनिकों का पीछा भी किया. जिससे ये अपुष्ट खबरें भी आईं कि पीछा करने में ही हमारे कुछ सैनिक चीन के कब्जे में आ गए. इस हिंसक टकराव के बाद भारत और चीन के बीच दो बार मेजर जनरल रैंक की बातचीत हुई थी. हमारे सूत्रों के मुताबिक उस बातचीत के बाद ही बंधक बनाए गए चीन के कर्नल को छोड़ा गया था.

 

 

 

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