यूपी। ऐसा माना जाता है कि पूरी दुनिया में आमों की 1500 से ज्यादा किस्में हैं, जिनमें 1000 किस्में भारत में उगाई जाती हैं.

हर किस्म के आम की अलग पहचान, महक और स्वाद होता है.

कुछ लोग ‘लंगड़ा’ के गुणगान करते हैं तो कई ‘दशहरी’ या ‘चौसा’ की मिठास के कायल होते हैं.

अलग अलग शहरों के आम की अपनी खासियत होती है.

लेकिन एक पेड़ पर 121 किस्म के आमों का उगना यह अपने आप में बड़ी अनोखी चीज है.

बता दें, सहारनपुर में जिस आम के पेड़ की इतनी चर्चा हर तरफ हो रही है, उसे बेहद ही खास तरीके से लगाया गया था.

इसे तैयार करने में करीब पांच साल का समय लगा और अब इस एक पौधे पर अलग अलग किस्म के आम आने लगे.

 

इस पौधे को लगे करीब 15 साल का समय हो गया है. लेकिन 5 साल पहले से हॉर्टिकल्चरिस्ट इस पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, जिससे नई तरह की वैरायटी तैयार की जा सके.

 

फलों के राजा आम के एक ही पेड़ पर 121 किस्म के आम की कलम लगाई गई थीं.

अब एक ही पेड़ पर 121 तरह की किस्म के आम लगने शुरू हो गए.

 

कैसे किया गया ये एक्सपेरिमेंट

  • बताया जा रहा है कि  शोध के लिए जिस पेड़ को चुना गया था, उसकी उम्र उस समय करीब 10 साल थी.
  • उस समय आम के देसी पेड़ की शाखाओं पर अलग-अलग किस्म के आमों की कलम लगाई गई थी.
  • इस पेड़ की देखरेख के लिए अलग से नर्सरी इंचार्ज की नियुक्ति की गई थी.
  • इस पेड़ पर दशहरी, लंगड़ा, रामकेला, चौंसा, आम्रपाली, सहारनपुर अरुण, सहारनपुर वरुण, सहारनपुर सौरभ, सहारनपुर गौरव, सहारनपुर राजीव, लखनऊ सफेदा, समेत 121 किस्म के आम पाए जाते हैं.
  • शोधकर्ताओं का कहना है कि कई नई वैरायटी इस पर काम चल रहा है ताकि और बेहतर उत्पादन किया जा सके.
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