कोलकाता: शिक्षकों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार को लेकर राज्य की राजनीति में मचे उथल-पुथल के बीच मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने कहा है कि धीरे-धीरे बदलाव होगा।

सरकार ने प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के नए अध्यक्ष के रूप में गौतम पाल के कंधों पर जिम्मेदारी सौंपी है। एक विशेष तदर्थ (हेडॉक) समिति बनाई गई है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने नई समिति की प्रशंसा की है।

न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि….

प्राथमिक शिक्षा बोर्ड की नई समिति की सराहना करते हुए न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि समिति में नृसिंहप्रसाद भादुड़ी, अभिक मजूमदार जैसे लोग हैं। मौजूदा चेयरमैन भी अच्छे हैं। किसी नगरपालिका अध्यक्ष की तरह नहीं।

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मुझे उम्मीद है कि धीरे-धीरे बदलाव होगा। एक समय में मैंने बोर्ड के लिए भी काम किया था। मुझे सब पता है। वर्तमान स्थिति बहुत ही दुखद है। मुझे लगता है कि तब पारदर्शिता थी, भ्रष्टाचार नहीं था।

कोर्ट के आदेश पर रत्ना चक्रवर्ती बागची ने अंतरिम अध्यक्ष का पद संभाला

हाल ही में 11 सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया था। लेखक नृसिंहप्रसाद भादुड़ी, भाषा शिक्षक स्वाति गुहा, उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष कौशिक दासगुप्ता, पाठ्यक्रम समिति के अध्यक्ष अभिक मजूमदार और प्रोफेसर रंजन चक्रवर्ती उस समिति में हैं।

दरअसल 20 जून को न्यायमूर्ति गांगुली ने शिक्षकों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप में माणिक भट्टाचार्य को प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर रत्ना चक्रवर्ती बागची ने अंतरिम अध्यक्ष का पद संभाला।

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हालांकि, माणिक ने इस आदेश को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच का दरवाजा खटखटाया। यह मामला अभी भी वहां लंबित है। इस बीच, राज्य ने कल्याणी विश्वविद्यालय के कुलपति गौतम पाल को बोर्ड का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।

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