अश्गाबात। कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। शक्तिशाली देश भी इस संक्रमण के आगे बेबस हैं लेकिन एक देश ऐसा भी है जिसका कहना है कि ऐसी कोई बीमारी है ही नहीं। यहां तक कि उसने अपने देश में कोरोना शब्द के इस्तेमाल पर ही बैन लगा दिया है। हैरानी की बात तो यह है कि इस देश से सटे ईरान में कोरोना ने भयावह मंजर खड़ा किया है।

हम बात कर रहे हैं तुर्कमेनिस्तान की जिसने कोरोना शब्द लिखने और बोलने पर बैन लगाने के साथ ही मास्क पहनने पर भी कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है। खबरों की मानें तो ये बैन किसी और ने नहीं बल्कि राष्ट्रपति गुरबांगुली बेयरडेमुकामेडॉव ने लगाया है। यही नहीं जनता के बीच स्पेशल एजेंट्स घूम रहे हैं जो अगर किसी से कोरोना की चर्चा सुनते हैं तो उन्हें जेल भेज देते हैं।

आधिकारिक रूप से अबतक इस देश में एक भी कोरोना केस सामने नहीं आया है। ये बात विशेषज्ञों को भी हजम नहीं हो रही है। उनका मानना है कि तुर्कमेनिस्तान अपने आंकड़े को छिपा रहा है। इस देश ने करीब एक महीने पहले ही अपने देश के बार्डर सील कर दिए थे। वहीं चीन सहित बाकी देशों से आने वाले विमानों के रास्तों को डायवर्ट कर दिया गया था।

अपनी रुढ़िवादी सोच के लिए जाने जाने वाले यहां के राष्ट्रपति ने बीमारी से बचाव के लिए अजीबोगरीब आदेश भी जारी किया है। उन्होंने देश के सभी सार्वजनिक स्थानों पर हरमाला नामक पारंपरिक पौधा लगाने के लिए कहा है। उनका मानना है कि यह पौधा बीमारियों के प्रसार को रोकने में कारगर है। इसके अलावा सरकारी विज्ञप्तियों, स्कूलों और दीवारों पर चस्पा किसी भी कोरोना से जुड़ी बात को हटाया जा रहा है। खबरें हैं कि कोरोना की जगह सांस की बीमारी या बीमारी शब्द का प्रयोग करने को कहा जा रहा है।

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