नई दिल्ली। ओवर ऐक्टिव ब्लैडर (OAB) एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से बार-बार टॉइलट जाने की समस्या होती है। सर्दी में यह समस्या और बढ़ जाती है। क्योंकि सर्दी में पसीना कम निकलता है और यह पानी ब्लैडर पर और प्रेशर डालता है, जिसकी वजह से कुछ लोगों को हर आधे घंटे में ब्लैडर भरा होना महसूस होता है और वो टॉइलट जाने को मजबूर हो जाते हैं। जो समय पर टॉइलट नहीं पहुंच पाते हैं, ऐसे लोगों का यूरिन लीक हो जाता है। खासतौर पर यह वर्किंग महिलाओं के लिए परेशानी की वजह बन जाती है। उनका कॉन्फिडेंस लेवल कम होता है और सोशल लाइफ तक प्रभावित हो जाती है।सर्दी में बढ़ जाती है परेशानी
गंगाराम अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अमरेंद्र पाठक ने कहा कि अगर एक इंसान अगर ढाई लीटर पानी पीता है तो उसके शरीर से डेढ़ लीटर यूरिन बन जाता है। 700 एमएल पसीना व सांस के जरिए बाहर निकलता है, जबकि अन्य 300 एमएल स्टूल व अन्य तरीके से बाहर आता है। लेकिन सर्दी में पसीना कम निकलता है, जिसकी वजह से पसीना वाला पानी भी ब्लैडर पर प्रेशर डालता है और जो लोग पहले से OAB के शिकार होते हैं, उन्हें इस मौसम में और दिक्कत बढ़ जाती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इसका इलाज है, झिझक छोड़कर लोग इलाज कराएं तो यह बीमारी कंट्रोल की जा सकती है और इंसान अच्छे से लाइफ जी सकता है।

किन्‍हें है ज्‍यादा खतरा?
इस बारे में राजौरी गार्डन स्थित आरजी स्टोन यूरोलॉजी व लेप्रोस्कोपी हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुशील खरबंदा ने कहा कि इसका इलाज किया जा सकता है लेकिन अधिकांश मरीज इलाज कराने से झिझकते हैं। वो समय पर इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। पुरुषों और महिलाओं दोनों को ओएबी हो सकता है। डॉक्टर खरबंदा ने कहा कि बुजुर्ग महिलाएं जो रजोनिवृत्ति से गुजर चुकी हों, और जिन पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्या है, उनमें ओएबी होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा जो लोग दिमाग या स्पाइन की बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी यह बीमारी होने का डर रहता है।

बॉडी के भीतर क्‍या होता है, समझ‍िए
डॉक्टर पाठक ने कहा कि नॉर्मल तरीके से हर एक मिनट में एक एमएल यूरिन बनता है। यानी चार घंटे के आसपास ब्लैडर में 240 एमएल यूरिन बन जाता है। यहां यह जान लें कि ब्रेन और ब्लैडर के बीच एक कनेक्शन होता है, जब ब्लैडर भर जाता है तो वह दिमाग को सिग्नल देता है जिसके बाद इंसान को यूरिन जाने के लिए प्रेशर करता है। आमतौर पर इंसान इस सेनसेशन को इग्नोर करता है। 350 से 400 एमएल तक लोग यूरिन होल्ड कर लेता है। कई बार जब लोग एग्जाम दे रहे हों या ट्रेन में तो ऐसा देखा जाता है। लेकिन जब कोई मरीज ओवर ऐक्टिव ब्लैडर का मरीज होता है तो यह ब्लैडर व ब्रेन के बीच का सिग्नल सही से काम नहीं करता है। मरीज के ब्लैडर में 50 एमएल यूरिन होने पर ही सूचना मिल जाती है ब्लैडर खाली करने की। 100 एमएल तक में यूरिन लीक हो जाती है।डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी के इलाज के लिए अब अच्छी दवा उपलब्ध है, पैड उपलब्ध हैं। इसलिए इसका समय पर इलाज कराएं। खासकर कोई बजुर्ग महिलाएं है तो उनके लिए यह जानलेवा हो सकता है। क्योंकि सर्दी में वो देर रात यूरिन के लिए जा नहीं पाती, यूरिन लीक हो जाता है। उनका बेड गीला हो जाता है और उन्हें सर्दी हो जाती है, इसके साथ उन्हें इंफेक्शन हो जाता है और यह उनके लिए जानलेवा साबित हो जाता है।
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