नई दिल्ली। कोरोना को लेकर चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है। भारत के साथ लद्दाख सीमा पर जारी तनाव पर भी दुनिया की नजर है। ऐसे में अमेरिका समेत 8 देशों ने चीन की ताकत को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए खतरा मानते हुए एक अलांयस बनाया है। इस इंटर-पार्लामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC) को चीन में ‘फर्जी’ बताया जा रहा है। चीन ने कहा कि 20वीं सदी की तरह उसे अब परेशान नहीं किया जा सकेगा। उसने कहा

एक साथ चीन को जवाब देने की पहल

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को IPAC को लॉन्च किया गया था। इसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं। इस अलायंस का मकसद चीन से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर सहयोग के साथ उचित प्रतिक्रिया देना है। चीन के आलोचक और अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो IPAC के सह-अध्यक्षों में से एक हैं।

चुकानी पड़ती है कीमत

रूबियो ने कहा है कि कम्यूनिस्ट पार्टी के राज में चीन पूरी दुनिया के सामने चुनौतियां पेश कर रहा है। अलायंस का यह भी कहना है कि चीन के खिलाफ खड़े होने वाले देशों को उसका मुकाबला अकेले करना पड़ता है और ‘बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।’ कोरोना वायरस के फैलने के बाद से चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है जिसका असर दोनों के ट्रेड और ट्रैवल संबंधों पर भी दिखने लगा है।

चीन बोला- अपने हितों को कुचलने नहीं देंगे

पेइचिंग में चाइन फॉरन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट ली हाएडॉन्ग का कहना है कि चीन अब 1900 दशक की तरह नहीं रहा और वह अपने हितों को कुचलने नहीं देगा। ली का कहना है कि अमेरिका अपना हित साधने के लिए दूसरे देशों की सरकारों एवं एजेंसियों को अपने साथ ‘चीन विरोधी’ गतिविधियों में शामिल करना चाहता है और पश्चिम में चीन के खिलाफ माहौल बनाना चाहता है।

भारत और चीन के बीच हुई बातचीत

भारत-चीन में सीमा पर जारी तनाव के बीच शनिवार को दोनों पक्षों की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई। भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि बातचीत खत्म होने के बाद 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल लेह लौट गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सीमा पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच यह पहली बड़ी कोशिश थी। दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का सिलसिला अभी जारी रहेगा।

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