सहारनपुर। दो सगे भाइयों ने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है। यूपी के सहारनपुर में के दो भाइयों ने मिलकर एक ऐसे घर का निर्माण किया है जिसके भीतर रहने वाले को न तो गर्मी का अहसास होगा और न ही सर्दी के मौसम में सर्दी लगेगी। जिले में बन रहे इस अनोखे घर को देखने के लिए दूसरे राज्यों से भी लोग पहुंच रहे हैं। आगे जानें आखिर कैसा है यह इको फ्रेंडली मकान :-

देश में पहली बार न्यूजीलैंड की तर्ज पर हॉबिट हाउस का निर्माण किया जा रहा है और यह कमाल कर दिखाया गांव मिर्जापुर के दो सगे भाइयों ने। हॉबिट हाउस की खास बात यह है कि वह बिना कूलर और एसी के गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रहता है। हॉबिट हाउस में रहने वाला व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार नहीं होता और इसे योग साधना के लिए भी सबसे उत्तम माना गया है।

रामपुर मनिहारान तहसील के गांव मिर्जापुर निवासी दो सगे भाई (अमन प्रताप सिंह और काका) ने अपने गांव में न्यूजीलैंड की तर्ज पर हॉबिट हाउस बनाने का काम छह माह पूर्व शुरू किया जो कि 80 प्रतिशत बनकर तैयार हो चुका है।

अमन प्रताप सिंह ने बताया कि वह गूगल डॉट कॉम में गुड़गांव में नौकरी करते हैं। एक वर्ष पूर्व वह कंपनी के कार्य से न्यूजीलैंड गए थे। वहां उन्होंने एक पहाड़ी क्षेत्र में एक गांव देखा, जिसमें सभी परिवार हॉबिट हाउस में रहते हैं। वहीं से उन्होंने यह तकनीक हासिल की और उनके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की।

अपने गांव लौटने पर उन्होंने स्वयं अपने खेत में हॉबिट हाउस बनाने का कार्य शुरू किया तो लोगों ने उनका उपहास उड़ाया, परंतु वह और उनका भाई काका अपने काम में जुटे रहे। आज हॉबिट हाउस का निर्माण 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है अब ग्रामीण उनकी इच्छा शक्ति को दाद दे रहे हैं।

अमन प्रताप ने बताया कि इस हॉबिट हाउस को बनाने में छह लाख तक का खर्च आएगा। हॉबिट हाउस के पास ही लकड़ी की एक मचान बनाई जा रही है, इस पर रात्रि और दिन में विश्राम किया जा सकता है। इस मचान के नीचे वाहन की पार्किंग भी होगी।

उन्होंने कहा कि इस हाउस में बेसमेंट है। ऊपर छत बनाने में लकड़ी का प्रयोग किया है। दीवारें ईंट से बनाई गई हैं। नीचे फर्श में भी लकड़ी का प्रयोग किया जाएगा।

इसमें प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर प्लेट का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें बिजली का प्रयोग नहीं किया जाता है। हॉबिट हाउस की छत पर भी घास उगाई जाएगी, तैयार होने के बाद यह प्रत्येक मौसम में अपने आप ढाल लेता है गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रहता है।

हॉबिट हाउस को बनाने के लिए विशेष प्रकार के औजार आते हैं, जिनका उन्होंने खुद इस्तेमाल कर इसे बनाया है। उन्होंने कहा कि वह स्वरोजगार को लेकर शीघ्र ही पांच अन्य हॉबिट हाउस का निर्माण करेंगे। इसके लिए उन्होंने हरिद्वार व ऋषिकेश को चुना है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में एक हॉबिट हाउस बनाने में दो लाख तक खर्च आएगा।

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