वाराणसी : वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही है। जलस्तर में लगातार बढ़ाव से बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का दायरा भी बढ़ने लगा है। प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन ठहर गया है। गांव और शहरी मोहल्ले टापू बन गये हैं। रविवार को सामने घाट क्षेत्र की काॅलोनियों में लोगों की बढ़ रही मुश्किलों की जानकारी पर जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा एनडीआरएफ के विशेष बोट से प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे और मारुतिनगर में लोगों से संवाद कर मदद का भरोसा दिया।

प्रभावित क्षेत्र के जायजा लेने के बाद जिलाधिकारी ने नीचे के इलाकों में रह रहे लोगों को बाढ़ राहत शिविर में जाने का अनुरोध किया। सामनेघाट के सामने दर्जनभर से अधिक कॉलोनियों में 100 से ज्यादा मकान पानी में घिर गए हैं। इस इलाके के बहुमंजिली भवन में रहने वाले नागरिक अपने ही मकान में शरण लिए हैं। खिड़किया घाट (नमो घाट )पर नमस्कार की मुद्रा वाली आकृति पूरी तरह डूब गई है।

केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार

दशाश्वमेध शीतलाघाट के ऊपरी सीढ़ी को पार कर गंगा की लहरें सब्जी मंडी तक पहुंच गई हैं। जिले के ग्रामीण अंचल रमना, डाफी, चिरईगांव, व चौबेपुर ,ढाब क्षेत्र के दर्जनभर गांव टापू बन गये हैं। उनका आसपास के गांवों और मुख्य सड़क से सम्पर्क कट गया है। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार रविवार की दोपहर 12 बजे भी जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की गति से बढ़ रहा था। दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर 71.78 मीटर दर्ज किया गया। 06.8एमएम बारिश भी हुई। अब तक गंगा का वाराणसी में उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर रहा है। अनुमान है कि गंगा में बढ़ाव का यही हाल रहा तो सोमवार दोपहर तक गंगा का जलस्तर खतरा बिंदु के ऊपर 72 मीटर तक जा पहुंचेगा।

सामाजिक संस्थाएं और भाजपा कार्यकर्ता भी मदद में उतरे

उधर,गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा भी रौद्र रूप धारण कर कहर बरपा रही है। तटवर्ती इलाकों में हाहाकार मचा हुआ है। हजारों परिवार पलायन कर चुके हैं और उनके मकान जलमग्न हो चुके हैं। शासन के निर्देश पर एनडीआरएफ के राहत और बचावकर्ता बाढ़ में फंसे लोगों का लगातार रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं।

कोनिया, सरैयां, पुलकोहना, सोनातालाब, नक्खीघाट, नई बस्ती, बघवानाला ,ढ़ेलवरिया, सलारपुर, सरायमोहना,चौकाघाट में लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। बाढ़ के चलते प्रभावित क्षेत्र के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो गई है। उधर, मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका घाट की ओर जाने वाली गलियों में पानी भर गया है और हरिश्चंद्र घाट भी डूब गया है। ऐसे में शवदाह के काम में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट स्थित अंत्येष्टि स्थल तक अब नाव से लोग शवदाह के लिए जा रहे हैं।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ सामाजिक संस्थाएं भी आगे आई हैं। भाजपा कार्यकर्ता अलग-अलग इलाकों में भ्रमण कर सूखा राहत सामग्री लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

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