गोपालगंज। कुछ महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। कोरोना संकट के बीच विपक्षी दल, चुनाव को ध्यान में रखकर मुद्दों की तलाश में जुटे ही थे कि गोपालगंज जिले में ट्रिपल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया गया। वारदात में निशाना बने लोग और इसे जिस तरीके से अंजाम दिया गया, उसे देखते हुए अनुमान लगा गया था कि यह यह मामला राजनीतिक रंग लेगा। बिहार की जमीनी हकीकत और राजनीति को समझने वाले लोग भांप गए थे कि इस ट्रिपल मर्डर में विपक्ष अपने लिए संजीवनी तलाश सकता है। हुआ भी कुछ ऐसा ही। आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव के लाल तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को तुरंत लपक लिया है। अब वे इसे 2015 के पुटुस यादव हत्याकांड की तरह भुनाने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे में बिहार की राजनीति में तनिक भी इंट्रेस्ट रखने वालों के मन में यह भाव आना स्वभाविक है कि आखिर गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस को विपक्ष इतनी हवा क्यों दे रहा है।

आरोप है कि इस हत्याकांड में JDU के विधायक अमरेन्द्र कुमार पांडेय, जिला परिषद अध्यक्ष मुकेश पांडेय और उनके पिता सतीश पांडेय की संलिप्तता है। यादव नेता और उसके परिवार पर हमले की खबर से तेजस्वी चौकन्ने हो गए और तुरंत इलाजरत जेपी यादव से मिलने पीएमसीएच पहुंच गए।

शुक्रवार को पटना में हाई वोल्टेज ड्रामा शुरू कर दिया। तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव आरजेडी विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ गोपालगंज कूच करने के लिए निकले। प्रशासन ने उन्हें रोका तो रोड पर ही हाईवोल्टेज ड्रामा हुआ। वहीं गोपालगंज के बाहर की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर ये अमरेंद्र पांडेय उर्फ

कौन हैं, पप्पू पांडेय जिसे लेकर इतना संग्राम मचा है

कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र के जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय जनता के बीच मिस्टर क्लीन की छवि बनाने की भरसक कोशिश में रहते हैं। वहीं थाने का मुकदमा रजिस्टर खंगाला जाए तो पचासो पन्ने केवल इनके कारनामे से ही अटे हुए हैं। कुचायकोट दियारा और गन्ने की खेती के लिए प्रसिद्ध है। बाढ़ के बाद यहां लहलहाने वाली फसल इलाके की समृद्धि की कहानी बयां करती है। कुचायकोट गोपालगंज उत्तर प्रदेश से सटा हुआ सीमावर्ती इलाका है।

कुचायकोट को करीब से जानने वाले कहते हैं कि पप्पू पांडेय की राजनीति गन्ने की खेती से बिल्कुल उलट है। गन्ने की फसल की कटाई करने में मुश्किल होती है, लेकिन उसके अंदर का रस मिठास देता है। वहीं इसके ठीक उलट पप्पू पांडेय, जनता के बीच दयावान की छवि बनाए हुए हैं, लेकिन पर्दे के पीछे की इनकी क्राइम फाइल लंबी चौड़ी है।

कुख्यात सतीश पांडेय के भाई हैं पप्पू पांडेय

गोपालगंज के बाहुबलियों की लिस्ट में सतीश पांडेय का अच्छा खासा नाम है। सतीश पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड में जेल के अंदर बाहर आते-जाते रहते हैं। अमरेंद्र पांडेय अंतरराज्यीय अपराधी गिरोह के सरगना सतीश पांडेय के छोटे भाई हैं। 12वीं पास पप्पू पांडेय करोडों की संपत्ति के मालिक हैं। अमरेंद्र 2015 में जदयू के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं। इससे पहले 2010 में बीएसपी के टिकट पर भी विधायक बने थे।

 मोटी है सतीश पांडेय की क्राइम फाइल

अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मुकदमों की लिस्ट में हत्या, वसूली, रंगदारी जैसे मामले हैं। हम कुछ बड़े और चर्चित मुकदमों की ओर ध्यान दिला रहे हैं।

शराब दुकानदार की हत्या

2012 में गोपालगंज के हथवा प्रखंड मुख्यालय में शराब दुकान चलाने वाले अनिल साह की हत्या हुई थी। इस मामले में पप्पू पांडेय, उनके पिता रमाशीश पांडेय, बहनोई जलेश्वर पांडेय, भाभी और पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष उर्मिला पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। अनिल साह के परिजनों का आरोप था कि पप्पू पांडेय ने 50 लाख रुपये रंगदारी मांगी थी, लेकिन इसकी पूर्ति नहीं कर पाने के चलते हत्या कर दी गई।

सरकारी अफसर का अपहरण

27 मार्च 2012 को ही सरकारी पदाधिकारी अख्तर की पत्नी ने पप्पू पांडेय पर आरोप लगाया था कि इन्होंने पहले उनके पति का अपहरण किया फिर रिहाई के एवज में 55 लाख रुपये लिए थे।

कंस्ट्रक्शन कंपनी से मांगी रंगदारी: एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के कार्यकारी निदेशक अखिलेश कुमार जायसवाल ने आरोप लगाया है कि पप्पू पांडेय ने उनसे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी है। इस मामले में पटना के शास्त्री नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

बीजेपी नेता को गोलियों से भूनने की धमकी

अक्टूबर 2018 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिव कुमार उपाध्याय ने आरोप लगाया था कि जेडीयू विधायक पप्पू पांडेय उन्हें गोलियों से छलनी करना चाहते हैं। आरोप है कि पप्पू पांडेय ने शिव कुमार के काफिले को रोककर उन्हें गोलियों से छलनी करने की धमकी दी थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था।

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