रांची, 11 अप्रैल। साहित्यकार डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी का शनिवार को निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे । विगत कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। अपने पीछे वे पत्नी, एक पुत्र, पुत्रवधु, दो पुत्रियां और नाती पोते से भरा परिवार छोड़ गये। उनका जन्म 1936 में मेन रोड स्थित गुरूद्वारा सिंह सभा के ही निकट रांची में हुआ था। उनकी शिक्षा चर्च रोड स्थित अपर प्राइमरी नगरपालिका स्कूल रांची में हुई और मैट्रिक मारवाड़ी स्कूल रांची में उन्होंने पास की। इंटर और उसके बाद की सभी शिक्षा रांची कॉलेज और रांची यूनिवर्सिटी से हुई। 1970 में उन्होंने नागपुरी और उसका शिष्ट साहित्य विषय पर पीएचडी की। लेखन के प्रति रुझान तो बचपन से ही था, लेकिन 60 के बाद से इनमें लेखन के प्रति स्वाभाविक रूचि पैदा हो गई है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ रेडियो के लिए भी लिखते थे। 1961 से 1962 में ही हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन में लोअर डिविजन क्लर्क की नौकरी की। 1962 में ही डोरंडा महाविद्यालय में लेक्चरर के पद पर योगदान दिया। 1985 में उनका स्थानांतरण स्नाकोत्तर विभाग हो गया। उसके बाद से वह अपनी सेवानिवृत्ति तक वहीं रहे। उनकी कृतियों की एक लंबी फेहरिस्त है। जिसमें 2010 तक की सूची में 13 उपन्यास, 04 शोध ग्रंथ, तथा आलोचना, 02 नाटक, 02 प्रहसन, 01 एकांकी नाटक, 02 कहानी संग्रह, डॉ कामिल बुल्के स्मृति ग्रंथ तथा रामचरित मानस का मुंडारी अनुवाद आदि चर्चित पुस्तके हैं। डॉक्टर सुशील अंकन सहित कई लोगों ने गोस्वामी के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है

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