सैनिटाइजर, कोरोना से पहले तक अमूमन हम इसे तब ही इस्तेमाल करते थे, जब कभी हॉस्पिटल में किसी मरीज की देखभाल के लिए जाते थे। अब ऐसा बिल्कुल नहीं है। कोविड के दौर में लोग सैनिटाइजर को साबुन से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन, माइक्रो बैक्टीरियल एक्सपर्ट्स ऐसा बिल्कुल नहीं करने की सलाह देते हैं। पुणे में आईसीएमआर के नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट में माइक्रो बॉयोलॉजी के एक्सपर्ट राजीव नीमा कहते हैं कि सैनिटाइजर की तुलना में साबुन से हाथ धुलना ज्यादा बेहतर है। सैनिटाइजर का इस्तेमाल तभी करें, जब आपके पास हाथ धुलने का विकल्प न हो।

सैनिटाइजर के बारे में वो सबकुछ जानिए जो आपके लिए बेहद जरूरी है-

  1. सैनिटाइजर क्या काम करता है?

सागर स्थित हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी में माइक्रोबॉयोलॉजी के प्रोफेसर नवीन कांगो कहते हैं कि सैनिटाइजर का बेसिक कॉन्सेप्ट किसी सतह को स्टेरलाइज्ड करना होता है। सैनिटाइजर किसी भी सतह को वायरस, बैक्टीरिया, फंगस जैसी चीजों से फ्री कर देता। यहां तक डीएन, आरएन जैसी बेहद बारीक चीजें भी साफ हो जाती हैं।

  1. बाजार में कितने तरह के सैनिटाइजर बिक रहे हैं?

राजीव नीमा कहते हैं कि बाजार में दो तरह के सैनिटाइजर मौजूद हैं। ये अल्कोहल बेस्ड और ये एंटी बैक्टीरियल होते हैं। अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर्स कोविड में ज्यादा कारगर हैं। सैनिटाइजर में यदि अल्कोहल 70% से ज्यादा है तो सबसे बेहतर है। वैसे 95% वाला अल्कोहल सबसे ज्यादा असरदार होता है।

अल्कोहल फ्री सैनिटाइजर

इसमें एंटीसेप्टिक मिला होता है, जो कि एंटी माइक्रोबायल एजेंट्स या बेंजाकोनियम क्लोराइड होते हैं। यह कीटाणुओं का पूरी तरह से सफाया कर देते हैं, इसमें गुल मेंहदी भी मिला होता है, जो हमारे हाथ को सॉफ्ट बनाते हैं, साथ ही अच्छी खुशबू भी आती है।

अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर

इसमें 60 से 95% तक अल्कोहल मिला होता है, जोकि एथेनॉल, प्रोपेनॉल और आइसो प्रोपेनॉल से मिलकर बना होता है। यह कीटाणुओं से सुरक्षा करता है। इसका इस्तेमाल मेडिकल डिसइंफेक्टमेंट में भी किया जाता है।

  1. सैनिटाइजर का इस्तेमाल क्यों करते हैं?

प्रोफेसर नवीन कहते हैं कि यदि पेट में कोई बीमारी होती है तो हम एंटीबॉयोटिक खाते हैं, घाव होता है तो एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह जब हम किसी सरफेस से निर्जीव या डेड सेल्स या बैक्टीरिया-वायरस आदि को हटाना चाहते हैं तो डिसइन्फेक्ट का इस्तेमाल करते हैं, इसमें सैनिटाइजर, लाइजोल जैसी चीजें कारगर होती हैं।

  1. दिन में कितनी बार सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए?

राजीव कहते हैं कि कुछ खाने से पहले सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं, यदि आपके पास हाथ धुलने का विकल्प नहीं है। या तब सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें जब बस, ट्रेन या किसी सार्वजनिक वाहन में यात्रा कर रहे हैं, क्योंकि आप बार-बार हैंडल पकड़ते हैं, शीट टच करते हैं।

यदि आप घर में हैं तो सैनिटाइजर के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। घर में सिर्फ साबुन से हाथ धुलें। बॉडी पर सैनिटाइजर का स्प्रे तब करें, जब आप बाहर से घर में प्रवेश कर रहे हों, इस दौरान स्प्रे से कपड़े पर लगे बैक्टीरिया मर जाएंगे।

  1. सैनिटाइजर को खरीदने से पहले हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

राजीव नीमा के मुताबिक सैनिटाइजर का सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए, क्योंकि ज्यादा इस्तेमाल करने से बॉडी के सेल्स का वाटर कंटेंट मर जाता है।

अगर सैनिटाइजर को ओवर यूज करते हैं, तो यह पानी खींच लेता है, इससे स्किन ड्राई हो सकती है। इसलिए अल्कोहल में कभी-कभी ग्लिसरीन मिलाया जाता है, ताकि स्किन सूखे नहीं।

लॉन्ग टर्म में इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, जो सेल्स के फंक्शंस को प्रभावित कर सकते हैं। पर अभी कोविड के दौर में इसका इस्तेमाल बेहतर है।

  1. सैनिटाइजर का असर कितनी देर तक रहता है?

सैनिटाइजर को हाथ या सतह में लगाने के साथ ही वहां मौजूद बैक्टीरिया और वायरस मर जाते हैं। लेकिन सैनिटाइजर का असर तीन से चार मिनट तक ही रहता है। इसके बाद इसमें मौजूद अल्कोहल उड़ जाता है।

इसलिए सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बाद जैसे ही आपने दोबारा किसी सतह को छुआ, तो आप फिर बैक्टीरिया या वायरस के संपर्क में आ सकते हैं।

  1. सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बाद क्या आप कुछ खा-पी सकते हैं?

राजीव कहते हैं कि सैनिटाइजर लगे हाथ से खाना खाने या पानी पीने से कोई खतरा नहीं रहता है। क्योंकि, यह लगाने के चंद मिनट बाद ही उड़ जाता है। और वैसे भी अल्कोहल की थोड़ी मात्रा में शरीर के अंदर जाने से कोई खतरा नहीं रहता है। लेकिन, यदि आप दिन में 10 से 20 बार इसका इस्तेमाल करते हैं, तो इसकी मात्रा बढ़ जाएगी।

  1. सैनिटाइजर वायरस को कैसे मारता है?

प्रोफेसर नवीन कहते हैं कि वायरस प्रोटीन और आरएनए है। यह झाग से मर जाता है। इसलिए जैसे ही हम साबुन या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं, वह मर जाता है। सैनिटाइजर में 70 एथेनॉल, आइसो प्रोपेनॉल होता है। इसलिए यह वायरस के प्रोटीन को मार देता है।

कुछ सैनिटाइजर इफेक्टिव होते हैं, लेकिन स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं। बाजार में कुछ खुशबू वाले सैनिटाइजर भी आ रहे हैं, लेकिन एथेनॉल बेस्ड सैनिटाइजर ज्यादा बेहतर हैं।

  1. हैंड सैनिटाइजर वायरस से बचाने में कितना कारगर है?

सैनिटाइजर का इस्तेमाल तुरंत प्रभावशाली है। वैसे सैनिटाइजर 99% बैक्टीरिया को मार देता है, लेकिन कोविड के मामले में यह 100% कारगर है। हालांकि, पोंछा लगाने में हाइपो क्लोराइड से बने डिसइंफेक्ट को इस्तेमाल करना बेहतर होता है।

सैनिटाइजर और साबुन की तुलना करें तो साबुन बैक्टीरिया या वायरस को मारने में ज्यादा बेहतर होता है, क्योंकि साबुन हथेली और उंगलियों के हर पोर में लगाया जा सकता है। फिर पानी से धुलने से हाथ पूरी तरह साफ हो जाता है, लेकिन सैनिटाइजर के साथ ऐसा नहीं है।

  1. नकली सैनिटाइजर को कैसे पहचानें?

अल्कोहलिक स्मेल आनी चाहिए।

कलर देखकर आप नहीं समझ सकते हैं।

यह जरूर देखें कि सैनिटाइजर मानक एजेंसियों द्वारा सर्टिफाइड है या नहीं।

आम आदमी इंग्रीडिएंट्स को देखकर ही बस समझ सकता है।

  1. सैनिटाइजर पर भरोसा कैसे करें?

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस वक्त बाजार में तमाम तरह के सैनिटाइजर बिक रहे हैं, इनमें बहुत से नकली या मिलावटी सैनिटाइजर भी हैं। ऐसे में सैनिटाइजर खरीदते वक्त खास सावधानी बरतने की जरूरत है। मिलावटी सैनिटाइजर से वायरस नहीं मरते हैं और संक्रमित होने को खतरा भी बढ़ जाता है।

  1. सैनिटाइजर्स कितने समय में एक्सपायर होते हैं?

राजीव नीमा कहते हैं कि सैनिटाइजर वैसे तो खराब कम ही होते हैं। ज्यादातर सैनिटाइजर की एक्सपायरी डेट तीन साल तक होती है। सैनिटाइजर खरीदते वक्त बस एक बात का ध्यान रखना चाहिए, वह यह है कि इसमें अल्कोहल की मात्रा 60% से कम न हो।

  1. सैनिटाइजर के इस्तेमाल के दौरान क्या सावधानी रखें?

अल्कोहल का इस्तेमाल करते समय हमें आग से दूर रहना चाहिए, क्योंकि अल्कोहल ज्वलनशील होता है।

सैनिटाइजर को हाथ में रगड़ने के तुरंत बार हाथ को मुंह, नाक, आंख को न छुएं, इससे साइड इफेक्ट का खतरा रहता है।

बाजार में अलग-अलग तरह के सैनिटाइजर मिल रहे हैं। इनकी शुरुआती कीमत 50 रुपए से शुरू होकर 500 रुपए तक है। बहुत से सैनिटाइजर ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं, कंपनियां डिस्काउंट ऑफर भी दे रही हैं।

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