नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से कहर बरपा रहे म्यूकोर मायकोसिस या ब्लैक फंगस संक्रमण को लेकर एक नई बात सामने आई है. अब तक कहा जा रहा था कि यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा सामने आ रही है जिन्हें डायबिटीज है और साथ ही उन्होंने लंबे समय तक स्टेरॉइड्स लिया है. अब डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि इसके पीछे इम्यूनिटी बढ़ाने वाले जिंक सप्लीमेंट्स और आयरन टैबलेट्स भी जिम्मेदार हो सकते हैं.
ब्लैक फंगस फैलाने में इम्यूनिटी बूस्टर्स का कितना हाथ है इस पर बांद्रा स्थित लीलावती अस्पताल के सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट शशांक जोशी शोध पत्र तैयार कर रहे हैं. ‘इस बीमारी के पीछे प्राथमिक कारण तो स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल और डाइबिटीज ही है लेकिन बीते 2 दिनों से मेडिकल कम्यूनिटी में भारतीयों द्वारा जिंक सप्लीमेंट और आयरन टैबलेट्स के खासे इस्तेमाल पर जमकर चर्चा हो रही है.’
जिंक और फंगस के संबंध को लेकर कई सालों से रिसर्च होते रहे हैं, जिनमें सामने आया है कि जिंक के बिना फंगस जिंदा नहीं रह सकते. यहां तक कि वे फंगस को बढ़ावा देने के लिए भी जिम्मेदार हैं. चूंकि पिछले साल हुई महामारी की शुरुआत के बाद से ही भारतीय लोग जमकर जिंक खा रहे हैं. ऐसे में पुराने शोध का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने इस मसले पर रिसर्च करने की जरूरत जताई है. डॉक्टरों ने भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद से माइक्रोमाइकोसिस के आउटब्रेक के कारणों का अध्ययन करवाने का आग्रह किया है जो गंभीर फंगल इन्फेक्शन है. यह संक्रमण म्यूकरमाइसीट्स मॉल्ड्स के कारण हो रहा है.
म्यूकोर के मामले दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही पाए जाते रहे हैं. कोरोना प्रकोप होने से भी पहले यहां दुनियाभर से करीब 70 गुना ज्यादा केस थे, लेकिन पिछले करीब डेढ़ महीने में यहां 8,000 केस आने से हड़कंप मचा हुआ है. चूंकि यह संक्रमण बहुत खतरनाक है, लिहाजा इस पर तेजी से रिसर्च करने की जरूरत है.
पश्चिमी देशों में कोविड मरीजों के बुखार को नियंत्रित रखने के लिए आम तौर पर पैरासिटामोल का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन भारत में हल्के लक्षणों वाले कोविड मरीज को भी 5 से 7 तरह की दवाइयां दी जा रही हैं, जिसमें विटामिन सप्लीमेंट्स, एंटीबायोटिक आदि शामिल हैं. इसे लेकर कोच्ची के डॉक्टर राजीव जयदेवन कहते हैं कि कोरोना की पहली लहर में हमें इस वायरस के बारे में कम जानकारी थी, लिहाजा दवाइयों के कई तरह कॉम्बीनेशन मरीजों को दिए गए. लेकिन ब्लैक फंगस की समस्या केवल भारत में ही हुई. इससे साफ है कि ऐसी कोई गुप्त वजह है जो भारत में यह संक्रमण फैला रही है.