नई दिल्ली। शरीर में महसूस होने वाला हर छोटे से छोटा बदलाव इंसान की जल्दी मौत का संकेत दे सकता है. डॉक्टर्स चेतावनी देते हुए कहते हैं कि हर इंसान के लिए इन संकेतों को समझना जरूरी है. ताकि वक्त रहते इन्हें कंट्रोल किया जा सके.

एक स्टडी के आधार पर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि जल्दी मौत के ये वॉर्निंग साइन मृत्यु के 10 साल पहले ही नजर आ सकते हैं. चलने-फिरने से लेकर शरीर की कई गतिविधियों के जरिए आप इन्हें पहचान सकते हैं.

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के आधार पर एक्सपर्ट्स ने कहा, ’65 साल से ज्यादा उम्र में ‘फिजिकल मोटर फंक्शन’ में गिरावट मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है.’

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंसान के कुर्सी से उठने की मूवमेंट से लेकर वॉकिंग स्पीड या कमजोर ग्रिप स्ट्रेंथ (पकड़) के जरिए इन संकेतों को पहचाना जा सकते हैं. शुरुआती स्टेज पर इनकी पहचान कर आप रोकथाम कर सकते हैं.

एक्सपर्ट्स का यह दावा 33 से 55 साल की उम्र के 6,000 वॉलंटियर्स पर हुई एक स्टडी पर आधारित है जिन्हें साल 1985 से 1988 के बीच कंडक्ट किया गया था. इसके बाद साल 2007 और 2016 के बीच इन प्रतिभागियों का तीन अलग-अलग मौकों पर शारीरिक मूल्यांकन भी किया गया.

इसमें वॉकिंग स्पीड, कुर्सी से उठने में लगने वाले समय, ग्रिप स्ट्रेंथ समेत ड्रेसिंग, टॉयलेट के इस्तेमाल, कुकिंग या ग्रॉसरी शॉपिंग जैसे कुछ आसान से टास्क शामिल थे. इसमें 2019 तक किसी भी कारण से हुई मौतों को भी दर्ज किया गया था.

स्टडी में पाया गया कि फिजिकल मोटर फंक्शन के लेवल में कमी इंसान की जल्दी मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक जिन वॉलंटियर्स की मौत हुई, उनकी मृत्यु से 10 साल पहले तक कुर्सी से उठने की स्पीड सर्वाइव कर रहे लोगों से कम थी.

इतना ही नहीं, मरने वाले वॉलंटियर्स ने मौत से चार वर्ष पहले तक अपनी ‘डेली लिविंग एक्टिविटीज’ में सर्वाइव कर रहे लोगों से ज्यादा कठिनाई महसूस की. इस अवधि में मरने वाले वॉलंटियर्स की मुश्किलें लगातार बढ़ती रहीं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि वॉलंटियर्स की जल्दी मौत के 22 प्रतिशत मामलों में स्लो वॉकिंग स्पीड की समस्या देखी गई. 15 प्रतिशत मामलों में कमजोर ग्रिप स्ट्रेंथ और 14 प्रतिशत मामले कुर्सी से उठने की स्लो स्पीड से जुड़े थे.

वहीं, डेली लिविंग एक्टिविटीज में कठिनाई मौत के 30 फीसद मामलों से जुड़ी थी. एक्सपर्ट्स ने बताया कि ये वॉर्निंग साइन समय के साथ-साथ ज्यादा गंभीर होते चले गए.

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