लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 64 साल पहले 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में योगी सरकार ने मंगलवार देर शाम कैबिनेट की बैठक में बड़ा बदलाव किया है। अब गोकशी या तस्करी पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा हो सकेगी और 5 लाख का जुर्माना भी लगेगा। दोबारा दोषी पाए जाने पर सजा दोगुनी होगी। आरोपियों के पोस्टर भी चस्पा होंगे। यूपी कैबिनेट ने यूपी गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।

भरण पोषण के खर्च की वसूली भी होगी
मौजूदा कानून में गोवंश के वध या इस नीयत से तस्करी पर न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है। अब गोकशी पर न्यूनतम तीन साल की सजा और तीन लाख रुपए जुर्माना तय हो गया है। वहीं, गोवंश का अंगभंग करने भी कम से कम एक साल की सजा और एक लाख रुपए का न्यूनतम जुर्माना होगा।

प्रस्तावित कानून के अनुसार, यदि तस्करी के लिए ले जाया जा रहा गोवंश जब्त किया जाता है तो उसके एक साल तक अथवा गोवंश के निर्मुक्त किए जाने तक भरण-पोषण के लिए खर्च की वसूली भी अभियुक्त से होगी। यह वसूली गोवंश मालिक को मिलेगी। अभी तक गोवंश या उसके मांस को ढोने वाले वाहनों, उनके मालिकों या चालकों पर कार्रवाई को लेकर तस्वीर साफ नहीं थी। अब जब तक वाहन मालिक साबित नहीं कर देंगे कि उनके वाहन में प्रतिबंधित मांस की जानकारी नहीं थी, वे भी दोषी माने जाएंगे। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध गैर जमानती होंगे।

अभी तक ये थी व्यवस्था-

अपराध मौजूदा सजा प्रस्तावित सजा
गोकशी या गोवंश तस्करी 7 साल तक जेल, 10 हजार का जुर्माना 10 साल तक जेल, 5 लाख तक जुर्माना
गोवंश का अंगभंग या जानलेवा चोट पर उपरोक्त सजा का आधा तक 7 साल तक जेल, 3 लाख तक जुर्माना

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