हैदराबाद। दुर्लभ बीमारी से ग्रसित हैदराबाद के 3 साल के मासूम को उसकी जान बचाने के लिए जरूरी 16 करोड़ रुपये का टीका आखिरकार लग गया. मासूम न्यूरोमस्कुलर डिसीज स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से ग्रस्त था.

इस बीमारी से पीड़ित शख्स स्पाइनल कार्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल को खो देने के कारण अपनी मांसपेशियों पर नियंत्रण नहीं कर पाता.

इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को जिंदा रखने के लिए दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन जोलोजेनेस्मा खरीदने की जरूरत पड़ती है और इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है.

लेकिन अब अयांश को नया जीवनदान मिल गया है और सब उसके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं. अयांश के घर वाले अपने बलबूते इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा सकते थे, लेकिन अयांश को नया जीवन देने के लिए ऑनलाइन मुहिम शुरू हुई और देखते ही देखते हजारों लोग इससे जुड़ गए और इस जेनेटिक बीमारी से पीड़ित बच्चे को नई जिंदगी देने के लिए 16 करोड़ रुपये जुटा लिए गए.

बुधवार को हैदराबाद के रेनबो हॉस्पिटल में अयांश को सबसे महंगी दवा जोलजेनस्मा का डोज दिया गया. इस मुहिम में 62,450 लोगों ने योगदान दिया और 14.84 करोड़ रुपये इस क्राउड फंडिंग के जरिये जुटाए गए.

बच्चे के पिता योगेश गुप्ता और मां रुपल गुप्ता पिछले दो साल से अयांश के इलाज के लिए यह रकम जुटाने के लिए जूझ रहे थे. तब उन्हें अपने बेटे की इस दुर्लभ बीमारी और उसके इलाज की महंगी कीमत के बारे में पता चला तो वे हैरान रह गए थे और उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके लिए यह रकम जुटा पाना कभी संभव भी होगा.

योगेश ने उनके बेटे के लिए दिल खोलकर दान देने वाले हर शख्स को दिल से आभार जताया है. योगेश का कहना है कि वे बेहद खुश हैं कि बेटे की जान बचाने के लिए आखिरकार इस दवा का इंतजाम हो पाया. यह उसकी जिंदगी बदल सकता है, लिहाजा सभी को मेरा धन्यवाद.

परिवार का कहना है कि अयांश के जन्म के कुछ महीनों बाद ही जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा इस दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है, तो उनका दिल बैठ गया और उस दिन से कभी वो चैन से नहीं बैठे. इस बीमारी के कारण उनके बच्चे के हाथ-पैर लगातार कमजोर होते गए और वह अपने बलबूते खड़े होने या बैठ पाने में भी असमर्थ है.

 

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