भुवनेश्वर। एक मामूली कलर्क रहीं एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी गांव में पैदा हुईं मुर्मू की जिंदगी में 2009 का साल तुफान बन के आया। उनके पुत्र की एक हादसे में मौत हो गई। वो इस सदमे से निकलने में जुटी थीं कि मात्र तीन वर्ष बाद 2012 में सड़क हादसे में उनके दूसरे पुत्र का निधन हो गया। उनके पति श्याम चरण मुर्मू का कार्डियक अरेस्ट के से मौत हो गयी। द्रौपदी मुर्मू की एक विवाहित पुत्री हैं ।
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी। आर्ट्स ग्रैजुएट द्रौपदी मुर्मू ने अपने करियर की शुरुआत एक क्लर्क के रूप में की थी, फिर वो टीचर बन गईं। बाद में उन्होंने राजनीति का रुख किया और 1997 में पहली बार निगम पार्षद बनीं। ओडिशा के रैरंगपुर विधानसभा सीट से दो बार बीजेपी विधायक बनने के बाद वो 2000 से 2004 के बीच नवीन पटनायक सरकार में मंत्री भी बनीं। फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें 2015 में झारखंड का राज्यपाल बनाया। उनका कार्यकाल पिछले वर्ष 2021 में खत्म हुआ।
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