नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश एटीएस ने सिगनल मैन सौरव शर्मा (रिटार्यड) को लखनऊ की मिलिट्री इंटेलिजेंसी यूनिट के इनपुट के आधार पर जनवरी महीने में गिरफ्तार किया था. आरोप है कि सेना का यह पूर्व जवान कराची की एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए साल 2016 से काम कर रहा था. यूपी एटीएस ने एक अन्य आरोपी को गोधरा, गुजरात से गिरफ्तार किया था. NIA को दोनों आरोपियों के पास से टेरर फंडिंग का भी सबूत मिला था.
जानकारी के मुताबिक 8 जनवरी 2021 को एटीएस ने गोमती नगर में एक एफआईआर दर्ज की थी. जिसके बाद 11 जनवरी 2021 को अनस गितेली याकूब को गुजरात से गिरफ्तार किया था. जबकि सौरव शर्मा को मेरठ से गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेजा गया था और इस पूरे मामले की जांच NIA को सौंप दी गई थी.
NIA की विवेचना अभी भी प्रचलित है. NIA ने आईपीसी की धारा 123, 201,120 बी व शासकीय गोपनीय अधिनियम की धारा 3 व 5 तथा विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 18 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है.
NIA की विशेष अदालत में एक अन्य मुलजिम अनस गितेली याकूब के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल कर दिया है. इसमें आईपीसी की धारा 123, 201, 120 भी युवा शासकीय गोपनीय नियम की धारा 9 तथा विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 17 वा18 के तहत आरोप किया गया है.
अभियोजन के मुताबिक ,आरोपी सौरव शर्मा भारतीय सेना में एक सिग्नल मैन के पद पर तैनात था और वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी का काम करता था. वह छद्म नाम वाली एक आईएसआई हैंडलर नेहा शर्मा को मिलिट्री टूलकिट की लोकेशन, उनकी ताकत आदि की बारे में और उनकी जानकारी भेजता था. इसके एवज में अनस गितेली याकूब, सौरव को धन भी मुहैया कराता था.
आरोपी सौरव ने दिल्ली में अनस के भाई इमरान से सारी रकम ली थी. इमरान के खिलाफ विशाखापट्टनम की जासूसी केस में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है.