नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किए जाने के केंद्र के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इस कानून ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया है। उन्होंने नए कानून का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों को सलाह दी कि वे ऐसा कोई काम न करें जिससे देश कमजोर हो। कोविंद ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि संसद के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के समान विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

राष्ट्रपति ने शुक्रवार को बजट सत्र के पहले दिन संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि संसद ने नई सरकार के गठन के बाद पहले सात महीनों में कई ऐतिहासिक कानून पारित कर रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था – ‘पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं। उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है।’

कोविंद ने कहा कि संसद ने सीएए बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा पूरी की है। हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करते हुए इसका कड़ा विरोध किया। राष्ट्रपति ने देश में सीएए के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए कहा कि पारस्परिक चर्चा-परिचर्चा और वाद-विवाद लोकतंत्र को और सशक्त बनाते हैं। मगर विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा समाज और देश को कमजोर करती है।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि किसी भी विचारधारा के नेता या समर्थक होने से पहले हम देश के नागरिक हैं। हमारे देश की प्रतिष्ठा हमारी दलीय प्रतिबद्धताओं से कहीं बढ़कर है । राष्ट्रपति ने सीएए पर चल रही आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं और किसी भी पंथ का व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को पूरा करके भारत का नागरिक बन सकता है।

उन्होंने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता देने से किसी क्षेत्र और विशेषकर नॉर्थ ईस्ट पर कोई सांस्कृतिक प्रभाव न पड़े, इसके लिए भी सरकार ने कई प्रावधान किए हैं। राष्ट्रपति ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की अपील की।

कोविंद ने कहा कि हमारा संविधान इस संसद से और इस सदन में उपस्थित प्रत्येक सदस्य से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए देशवासियों की आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उनके लिए आवश्यक कानून बनाने की अपेक्षा रखता है। यह दशक भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इस दशक में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होंगे। सरकार के प्रयासों से पिछले पांच वर्षों में इस दशक को भारत का दशक और इस सदी को भारत की सदी बनाने की मजबूत नींव रखी जा चुकी है।

राष्ट्रपति कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के रामजन्मभूमि पर फैसले के बाद देशवासियों के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा कि जनता ने इस फैसले पर बड़ी परिपक्वता से व्यवहार किया। हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर देश की जनता का प्रकट किया जाने वाला विश्वास हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है।

उन्होंने कहा कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर सदन में उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य केंद्रीय मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और विभिन्न विपक्षी दलों के नेता उपस्थित रहे।

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