नई दिल्ली। आपको जानकार हैरानी होगी की वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी हो रही है लेकिन इसके बावजूद हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें (Petrol Diesel Price) नहीं बढ़ रही हैं।

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इसका सीधा असर तेल कंपनियों की कमाई पर पड़ रहा है। लेकिन आपको बता दें कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों  को देखते हुए पेट्रोल-डीजल की कंपनी अपनी कीमतों में इजाफा नहीं कर रही हैं।

वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि चुनावों के बाद तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम 5-6 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा सकती हैं। यानि एक बार फिर पेट्रोल- डीजल की कीमतें आसमान पर होंगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने से कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है।  ऐसे में उनके लिए सामान्य रूप से मार्जिन बनाए रखने के लिहाज से कीमतों में 5-6 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर कच्चे तेल की कीमतें उच्चस्तर पर बनी रहीं तो पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम जरूर बढ़ेंगे।

जानें कीमतों पर कैसे होता असर
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) के विश्लेषक प्रबल सेन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर घरेलू बाजार में भी दिखता है. वैश्विक बाजार में कच्चा तेल अगर एक डॉलर प्रति बैरल महंगा होता है तो घरेलू बाजार में दाम 45-47 पैसे प्रति लीटर तक बढ़ जाते हैं. लेकिन विदेशी बाजारों में कच्चे तेल में तेजी के बावजूद घरेलू बाजार में दिवाली के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर हैं. नवंबर के बाद कच्चा तेल 25 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ चुका है.

 

लगातार महंगा हो रहा है क्रूड
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव जारी रहने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत मंगलवार को 94 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई. साल 2014 के बाद यह पहला मौका है, जब क्रूड की कीमत इस स्तर पर पहुंची है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बना रहता है तो कच्चे तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.

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