गोपालगंज। जिस सरिता गिरी ने नेपाल की राजनीति में भूचाल मचा दिया है, उनका जन्म से लेकर लालनपोषण सब कुछ बिहार के गोपालगंज और नेपाल की सीमा से सटे लहान में हुआ है। सरिता गिरी बचपन से ही होनहार और राजनितिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से जुड़ी हैं। आज नेपाल की संसद ने भले ही सरिता गिरी की संसद सदस्यता रद्द कर दी हो, लेकिन इसका गोपालगंज के लोगों को कोई मलाल नहीं है। उन्हें अपने गांव की बेटी पर गर्व है। वे अपने गांव की बेटी के साथ एकजुट हैं।
सरिता गिरी के दादा कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे
सरिता गिरी गोपालगंज सदर प्रखंड के मानिकपुर गांव की रहने वाली हैं। उनके दादा गोपालगंज के कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। उनकी बिहार की राजनीति में भी बहुत रसुख था। सरिता गिरी के चाचा चन्द्रवंश गिरी के मुताबिक उनका जन्म ननिहाल में लहान के समीप खरिका गांव में हुआ था।
सरिता के दादा जलेश्वर गिरी बहुत ही ईमानदार और कड़क नेता थे। उन्हीं के नक्शेकदम पर उनकी पोती सरिता गिरी चली। सरिता गिरी ने भी नेपाल और चीन के दबाव के आगे झुकी नहीं। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार के आगे नहीं झुकी। अपने स्टैंड पर कायम रहीं। सरिता के साथ उनके गांव के लोग एकजुट है। वे अगले दो तीन दिनों में वापस अपने पैत्रिक गांव आने वाली हैं।
बहन की संसद सदस्यता जाने से दुखी हैं भाई
सरिता गिरी के चचेर और छोटे भाई नेहाल गिरी ने बताया की उनकी दीदी का संसद सदस्यता चली गई है। उन्हें बहुत मलाल है, लेकिन वे खुद को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। मानिकपुर गांव के रहने वाले अरुण कुमार के मुताबिक सरिता दीदी बचपन से होनहार है। वे बहुत अच्छे नेता और प्रवक्ता हैं। चीन के दबाव में नेपाल में ऐसा किया है।
मानिकपुर गांव के रहने वाले अरुण कुमार दूबे ने कहा भारत की पूरी जनता उनके साथ है। नेपाल का कोई दाल गलने वाला नहीं है। गोपालगंज के पूर्व पत्रकार मानिकपुर गांव के रहने वाले विजय तिवारी ने बताया की भारत से उनका बहुत लगाव रहा है। नेपाल से रोटी बेटी का रिश्ता है। आज नेपाल में ओली की सरकार है। कल कोई और सरकार भी आयेगी तो सरिता गिरी का कुछ नहीं कर पायेगी।
मालूम हो कि संघीय संसद के सचिवालय ने घोषणा की है कि समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि की सीट खाली हो गई है। संसद महासचिव भरत राज गौतम ने बताया कि पार्टी की ओर से सरिता गिरी को पार्टी से निकाले जाने की सूचना दी गई थी, इसके बाद नियमानुसार उन्हें सांसद पद से हटा दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 89 के अनुसार, गिरी को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। सरिता गिरी का कसूर यह था कि उन्होंने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से संविधान संशोधन का आधार पूछ लिया था।