नई दिल्ली। झारखंड सरकार और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के बीच मजदूरों को लेकर चल रहा विवाद अब सिर्फ रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही निपटने के करीब है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीआरओ को झारखंड के 11815 मजदूरों को काम पर भेजने की अनुमति दे दी है। बीआरओ ने लिखित में उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है। दोनों पक्षों में बनी सहमति पर रक्षा मंत्रालय की मुहर लगते ही झारखंड के मजदूर लेह, लद्दाख में फिर से काम करने के लिए लौट सकेंगे।

लेह, लद्दाख में फंसे 60 मजदूरों को एयरलिफ्ट करके झारखंड सरकार ने 29 मई को ‘घर वापसी’ कराई थी। लद्दाख से एयरलिफ्ट ​किये गए झारखंड के मजदूरों ​ने ​​भुगतान में देरी, बीआरओ ​की निर्धारित ​दरों की तुलना में कम मजदूरी​ देने और ​मजदूरों के बैंक एटीएम कार्ड ब्लॉक ​करने से सम्बंधित अपना दर्द सरकार से बयां किया था​।​ इस पर ​झारखंड सरकार ने ​​बीआरओ ​को पत्र लिखकर ​राज्य ​के मजदूरों की दुर्दशा और शोषण पर गंभीर चिंता जताई। इसके बाद झारखंड सरकार सुरक्षा की गारंटी के बगैर ​अपने मजदूरों को भेजने के लिए तैयार नहीं थी। मुख्यमंत्री सोरेन ने बीआरओ के सामने मजदूरों के बीच से ठेकेदार​ हटाने​,​ राज्य में मजदूरों ​की भर्ती सीधे करने, खुद को इंटर-स्टेट माइग्रेंट वर्कर्स एक्ट के तहत पंजीकृत कराने जैसी शर्तें रखीं। सरकार ने इन शर्तों को पूरा होने के बाद अगले साल के लिए बीआरओ से समझौता​ ​(एमओयू)​ करने का फैसला लिया है।

​​झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ​का भी कहना है ​कि अभी तक बीआरओ और मजदूरों के बीच कोई ​सीधा ​संबंध नहीं था​ और ठेकेदारों के माध्यम से मजदूरों को लेह, लद्दाख ले जाया गया था।​ अब ​सहमति बनी है कि ​मजदूरों को बीआरओ सीधे भर्ती ​करेगा​।​ ​मजदूरों ​को उनकी योग्यता के आधार पर लद्दाख के लिए 15,900-29,0​​00 रुपये ​भुगतान किया जाएगा​। ​​​अभी तक ​बीआरओ​ और मजदूरों के बीच सीधा सम्बन्ध नहीं था लेकिन अब ​​बीआरओ ​द्वारा सीधे तौर पर​ भर्ती करने ​से मजदूरों की​ सुरक्षा की जिम्मेदारी बीआरओ की होगी​। अभी तक चल रही व्यवस्था के अनुसार ​श्रमिकों के वेतन का एक छोटा हिस्सा ​ठेकेदार लेता था।​ ​झारखंड सरकार ​के आपत्ति जताए जाने पर बीआरओ ने ​ठेकेदारों ​को समन्वयक ​बताते हुए कहा कि ये मजदूरों पर बेहतर कमांड और नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं। ​​​

सीमा सड़क संगठन के डीडीजी (टीपी) ब्रिगेडियर नितिन के शर्मा ने ​कहा कि बीआरओ मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। भर्ती किये जाने वाले मजदूर चिकित्सा सुविधाओं, राशन, कपड़े, आवास, नि:शुल्क वाहन और​ समय पर मजदूरी​ भुगतान के पात्र होंगे।​ ​बीआरओ किसी भी ठेकेदार या मेट को शामिल किए बिना सीधे ​मजदूरों की भर्ती करेगा। बीआरओ 2021-22 के लिए प्रवासी श्रमि​कों को रोजगार देने वाले एक प्रतिष्ठान के रूप में राज्य के साथ पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा और ​​रक्षा मंत्रालय से मंजूरी​ मिलने के ​बाद झारखंड सरकार से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा।

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