New Delhi. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बीच भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर चल रही तकरार कानून की दहलीज तक पहुंच गई। बीते शनिवार को अशोक गहलोत के खिलाफ दायर मानहानि मामले में शेखावत ने सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट हरप्रीत सिंह की कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मामले में मूल चार्जशीट या एसओजी द्वारा पेश दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट्स में किसी भी तरह से उन्हें दोषी नहीं माना गया।

इतना ही नहीं फरवरी में ही अंतिम चार्जशीट पेश की गई थी। साथ ही उन्होंने कहा “उनमें किसी भी तरह से जांच एजेंसी ने मुझे दोषी नहीं माना है लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने बात करते हुए मुझे अभियुक्त करार दिया है। न केवल मुझे उन्हें बल्कि उनके परिवारजनों को भी अभियुक्त कहा है। 21 फरवरी को सारी हदें पार करते हुए मुख्यमंत्री ने मुझे मेरी पत्नी मेरे पिता और मेरी दिवंगत माता सबके खिलाफ जुर्म प्रमाणित हो गया है ऐसा वक्तव्य उन्होंने दिया है। इन सभी विषयों को आज मैं कोर्ट के सामने अपने बयान में दर्ज कराया है। संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के पीड़ितों से मुख्यमंत्री के एक दिन पहले फिर मिलने के सवाल पर शेखावत ने कहा कि निश्चित रूप से उन्हें मिलना चाहिए।

केवल संजीवनी पीड़ितों से ही नहीं बल्कि आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी जिसका घोटाला पुलिस और मुख्यमंत्री कहते हैं कि 12 हजार करोड़ रुपए का है। नवजीवन क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी साईंकृपा कोऑपरेटिव सोसाइटी और उसके जैसी लगभग 10 से 12 क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी जिनमें करीब 14-15 हजार करोड़ रुपए का पैसा निवेशकों का डूबा है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा “मैं मीडिया के माध्यम से एक प्रश्न करना चाहता हूं जो सबसे बड़ी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी जिसके गबन की राजस्थान की एसओजी जांच कर रही है आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी जिसके करीब 20 लाख से ज्यादा निवेशक हैं उनके निवेशकों से मुख्यमंत्री जी कभी नहीं मिलते न ही उनके निवेशक मुख्यमंत्री जी के पास में पहुंच पाते हैं। साईंकृपा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी जो मुख्यमंत्री जी की ही पार्टी के पदाधिकारी चलाते थे जिन पर केस भी रजिस्टर्ड हुए हैं। केसों में पुलिस ने जुर्म प्रमाणित भी माना है लेकिन उसकी जांच एसओजी में लाकर डंप कर दी। उस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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