भोपाल। कर्नाटक में चली लंबी खींचतान के बाद कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) गठबंधन सरकार आखिरकार विश्वासमत प्रक्रिया में गिर गई। इसके बाद अब मध्य प्रदेश में कमलनाथ की गठबंधन सरकार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां एक ओर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरती है तो वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे, वहीं एमपी में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने विधानसभा में कहा कि हमारे ऊपर वाले नंबर एक या नंबर दो का आदेश हुआ तो 24 घंटे भी आपकी (कमलनाथ) सरकार नहीं चलेगी।

गोपाल भार्गव के बयान पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा में कहा, ‘आपके ऊपर वाले नंबर एक और नंबर दो समझदार हैं, इसलिए आदेश नहीं दे रहे हैं। आप चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव (नो कॉन्फिडेंस मोशन) ले आएं।’

बता दें कि शिवराज ने मध्य प्रदेश सरकार की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन जैसी स्थिति पर कहा कि अगर प्रदेश में ऐसा कुछ होता है तो वह कुछ नहीं कर पाएंगे। पूर्व सीएम के इस बयान के बाद से प्रदेश में कर्नाटक जैसी सियासी स्थिति के कयास लगाए जा रहे हैं। उधर, दूसरी ओर बीजेपी नेता के बयान पर पलटवार करते हुए कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार में परेशानियां पैदा करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। उन्होंने बीजेपी को चेताते हुए कहा कि यह कमलनाथ सरकार है, कुमारस्वामी नहीं और इस सरकार में उन्हें (बीजेपी को) हॉर्स ट्रेडिंग करने के लिए सात जन्‍म लेना पड़ेगा।

मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। वर्ष 2018 दिसंबर में हुए चुनाव में बीजेपी को यहां 109 सीटें हासिल हुई थीं। उधर, कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीएसपी और एसपी को यहां पर एक-एक और 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। मध्य प्रदेश विधानसभा में निर्दलीय और एसपी-बीएसपी विधायकों की वजह से कमलनाथ सरकार सत्ता में टिकी हुई है। दरअसल, यहां बहुमत का आंकड़ा 116 है। ऐसे में यदि बीजेपी विधायकों को तोड़ लेती है तो कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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