New Delhi। उत्तरी सीमाओं पर सैन्य गतिविधियों के बारे में आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले धोबी को सेना कोर्ट ने 10 साल और 10 महीने जेल की सजा सुनाई है। उसे राष्ट्रीय राजधानी में पाकिस्तान दूतावास के एक कर्मचारी को गुप्त जानकारी देते हुए पकड़ा गया था।

चीन के साथ सीमा के करीब एक फॉर्मेशन में तैनात सिग्नलमैन (धोबी) चीन सीमा पर निगरानी रखने वाले उपकरणों तक भी पहुंचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सफल नहीं हो सका। गोपनीय जानकारी देने के एवज में उसे पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी ने 15 हजार रुपये भी दिए थे।

नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में तैनात आबिद हुसैन उर्फ नाइक आबिद ने चीन सीमा पर फील्ड एरिया के एक फॉर्मेशन में तैनात सिग्नलमैन (धोबी) अलीम खान को अपने जाल में फंसाया था। आईएसआई एजेंट ने उससे उत्तरी सीमाओं पर सैन्य गतिविधियों के बारे में उस समय जानकारी मांगी, जब चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आक्रामक होने की कोशिश कर रहे थे।

सेना के धोबी ने आईएसआई जासूस को कई दस्तावेज दिए, जिनमें उस फॉर्मेशन की गार्ड ड्यूटी सूची भी शामिल थी, जहां वह खुद तैनात था। इसके बदले में पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी ने उसे 15 हजार रुपये भी दिए थे।

सेना के सूत्रों के मुताबिक अलीम खान ने कोविड लॉकडाउन के मद्देनजर तैनात किये गए वाहनों की आवाजाही एवं सूची की जानकारी भी आईएसआई को दी। वह चीन सीमा पर निगरानी रखने वाले उपकरणों तक भी पहुंचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सफल नहीं हो सका।

इसके अलावा उसने चीन सीमा पर निगरानी राडार और इसी तरह के अन्य उपकरण स्थानों तक पहुंचने की भी कोशिश की थी, लेकिन इन्हीं संदिग्ध गतिविधियों के दौरान वह पकड़ा गया था। लम्बी जांच के बाद सिग्नलमैन (धोबी) अलीम खान के खिलाफ समरी कोर्ट मार्शल शुरू की गई थी। रक्षा अधिकारियों ने कहा कि सेना में जासूसी के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें सैनिकों को वर्चुअली हनी ट्रैप किया गया था, लेकिन इस मामले में कोई हनी ट्रैप या ब्लैकमेलिंग शामिल नहीं थी।

कोर्ट मार्शल एक तरह की अदालत होती है, जो खास तौर पर सैनिकों के लिए होती है। इसका काम आर्मी में अनुशासन तोड़ने या अन्य अपराध करने वाले आर्मी मैन पर केस चलाना, उसकी सुनवाई करना और सजा सुनाना होता है।

यह ट्रायल मिलिट्री कानून के तहत होता है। जासूसी में पकड़े गए अलीम खान को एक महिला अधिकारी की अध्यक्षता में कोर्ट मार्शल ने 10 साल और 10 महीने की जेल की सजा सुनाई है। सैनिक को दी गई सजा सक्षम वरिष्ठ अधिकारियों की पुष्टि के बाद लागू होगी।

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