मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध नौ राज्यों के मुख्यमंत्री कर रहे हैं। भाजपा-नीत एनडीए के आठ घटकदल भी इसका विरोध कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा के नेता रामविलास पासवान और मुख्यमंत्री एवं जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने भी इसका विरोध किया है। पवार ने कहा कि उन्होंने इसका विरोध पहले से किया है और आज इसकी वजह से देश की हालत खराब हो गई है। यह कानून जहां देश की समस्याओं से लोगों को ध्यान हटाने के लिए लाया गया है, वहीं इससे केंद्र और राज्यों के बीच की दूरी बढ़ी है जो संघीय ढांचे के लिए घातक है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने पुणे में शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस अधिनियम में नेपाल व श्रीलंका को शामिल नहीं किया गया है। जबकि दिल्ली से लेकर देश के हर हिस्से में नेपाली नागरिक रह रहे हैं। असम में कई लाख गैर-मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता से वंचित कर दिया गया है। इन लोगों की हालत चिंताजनक है। इससे देश में अशांति फैल गई है। इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। पवार ने जनता से इसका विरोध शांतिपूर्वक करने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में 65 हजार करोड़ रुपये गलत तरीके से खर्च किए जाने की जानकारी कैग की रिपोर्ट में आई है। इस मामले की विशेष जांच एजेंसी से जांच करवाना जरूरी है।

पवार ने कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस की भूमिका संहेहास्पद है। पुणे पुलिस ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। इस मामले में यलगार परिषद में दिए गए भाषण के आधार पर कार्रवाई की गई है। बोलने की स्वतंत्रता और अन्याय के विरुद्ध बोलने वालों पर जबरन कार्रवाई की गई है। इस मामले की जांच पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच कमेटी गठित कर करवानी चाहिए।

राकांपा प्रमुख पवार ने कहा कि किसानों को कर्जमाफी दिए जाने के लिए राज्य सरकार तैयार है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक चर्चा की है। इस अवसर पर सचिव भी उपस्थित थे। इससे पहले उन्होंने किसानों पर बकाया कर्ज की रकम बैंकों में जमा करवाया था, लेकिन पिछली सरकार ने कर्जमाफी के नाम पर सिर्फ छलावा किया था।

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