जम्मू। दो आतंकियों के साथ पकड़े गए जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह के घर व करीबी रिश्तेदारों के घर पर सुरक्षा एजेंसियों की छापेमारी जारी है। उसके साथ पकड़े गए आतंकियों से भी पूछताछ के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों ने देविंदर सिंह के घर से छापे में कश्मीर घाटी में तैनात सेना की 15वीं कोर का नक्शा भी बरामद किया है। इसके अलावा साढ़े सात लाख रुपये और बड़ी मात्रा में हथियारों सहित गोला बारूद बरामद किया गया है।
दरअसल सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि देविंदर सिंह ने हवाला के माध्यम से वसूला गया पैसा अपने रिश्तेदारों के घर में छुपाकर रखा है जिसके चलते छापेमारी के दौरान पूरे इलाके का जायजा ड्रोन कैमरे से लिया जा रहा है। आतंकियों के साथी देविंदर सिंह के रिश्तेदार एक बैंक ऑफिसर, एक डॉक्टर के घर भी तलाशी ली गई है।इसके अलावा श्रीनगर के इंदिरा नगर में स्थित शिव मंदिर की तलाशी ली गई है। देविंदर सिंह के साथ गिरफ्तार हिज्बुल के दो आतंकियों नवीद बाबू और आसिफ अहमद ने पूछताछ में सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई हवाला के जरिये भारत में आतंकियों को पैसा भेजती थी जिसका एक माध्यम देविंदर सिंह भी था।
सुरक्षा एजेंसियां इन्हीं जानकारियों के आधार पर जांच करके कुछ ओवर ग्राउंड वर्कर्स को भी खोज रही हैं जिनके नाम देविंदर सिंह ने पूछताछ के दौरान लिए हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी ने साफ तौर पर कहा है कि पुलिस की वर्दी में छिपे आतंकियों के साथी देविंदर सिंह के साथ आतंकियों जैसा ही सलूक किया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि देविंदर सिंह ने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर पर आतंकियों व उनके आकाओं से मिलने वाली हवाला राशि व हथियारों को छुपा कर रखा है। देविंदर सिंह का शुरू से ही विवादों से नाता रहा है। इसके बावजूद उसे लगातार मैडल व पदोन्नति कैसे मिल रही थी, यह भी एक जांच का विषय है।
देविंदर सिंह 1992 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुआ था। पुलिस ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह जब दक्षिण कश्मीर में तैनात था तो उसने एक अन्य साथी सब इंस्पेक्टर के साथ एक ट्रक में नशीले पदार्थों की खेप बरामद करने के साथ ही तस्कर को भी पकड़ा लेकिन बाद में पैसे लेकर उसने मामला निपटा दिया और नशीले पदार्थ भी बेच डाले थे। इसके बाद उसकी बर्खास्तगी का आदेश भी जारी हुआ लेकिन उसके माफी मांगने के बाद तत्कालीन आईजी ने उसे एक मौका देते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के नवगठित विशेष अभियान दल (एसओजी) में भेज दिया। आतंकरोधी अभियान दल का हिस्सा बनने के बावजूद उसकी जल्द पैसा कमाने की आदत नहीं छूटी। इसके बावजूद जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उसे वीरता पुरस्कार प्रदान किया। देविंदर सिंह को यह वीरता पुरस्कार पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले से निपटने के लिए चलाए गए अभियान के लिए दिया गया।
उस पर यह भी आरोप है कि वर्ष 2005 में उसने बडगाम के एक ईंट भट्ठा मालिक नजीर अहमद सोफी को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हुए उससे करीब पांच लाख रुपये लिए थे। यह मामला भी बाद में दब गया था। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र एचएमटी के रहने वाले एक नागरिक ने भी एक मजहबी नेता के कहने पर देविंदर पर परेशान करने और जबरन वसूली करने का आरोप लगाया था। बडगाम में एसओजी यूनिट में तैनात रहते हुए डीएसपी देविंदर सिंह का एक बार अपने एक साथी से झगड़ा होने पर उसने उसकी ही राइफल छीनकर उसे गोली मारने की धमकी दी थी। नौकरी के दौरान देविंदर सिंह के खिलाफ पुलिस संगठन ने बीते दस सालों में दो बार विभागीय जांच भी बैठाई है।