एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया बतौर डिप्टी चीफ फ्रांस के साथ राफेल डील के लिए बनी टीम के चेयरमैन रह चुके हैं। पिछले साल एयरफोर्स चीफ ने लगभग एक घंटे तक राफेल उड़ाया था।
आरकेएस भदौरिया पिछले साल अक्टूबर में वायुसेना प्रमुख बने तो चर्चा इस बात की ही थी कि उन्हें राफेल डील पूरी करवाने के कारण ही चीफ बनाया गया
पिछले साल जुलाई में भारतीय वायुसेना और फ्रांस एयरफोर्स की एक्सरसाइज गरुड़ के दौरान एयरफोर्स चीफ ने लगभग एक घंटे तक राफेल उड़ाया था
एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया बतौर डिप्टी चीफ फ्रांस के साथ राफेल डील के लिए बनी टीम के चेयरमैन थे, इस टीम के जिम्मे सभी निगोशिएशन करना था
आरकेएस भदौरिया पिछले साल जब वायुसेना प्रमुख बने तो सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की थी कि उन्हें राफेल डील पूरी करवाने के कारण ही एयरफोर्स चीफ बनाया गया है। भदौरिया राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलट्स की लिस्ट में भी शामिल हैं। एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया बतौर डिप्टी चीफ फ्रांस के साथ राफेल डील के लिए बनी टीम के चेयरमैन थे।
इस टीम के जिम्मे सभी निगोशिएशन करना था। वो उन चुनिंदा एयरफोर्स पायलट्स की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने राफेल उड़ाया है। जब राफेल अंबाला पहुंचे तो बतौर एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने ही उनका स्वागत किया।
वायुसेना प्रमुख चुनिंदा एयरफोर्स पायलट्स की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने राफेल उड़ाया है।
पिछले साल जुलाई में भारतीय वायुसेना और फ्रांस एयरफोर्स ने एक ज्वाइंट एक्सरसाइज में भाग लिया था जिसका नाम था, गरुड़। इन एक्सरसाइज के दौरान एयरफोर्स चीफ ने लगभग एक घंटे तक राफेल उड़ाया था। इस दौरान उन्होंने सुखोई 30 एमकेआई और राफेल को साथ ऑपरेट करने के कॉम्बिनेशन पर बात भी की थी।
एयर चीफ भदौरिया जब वायुसेना की फाइटर पायलट स्ट्रीम में कमिशन हुए तो नेशनल डिफेंस एकेडमी से उन्होंने स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल किया था। उनके पास 26 तरह के फाइटर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव है।
फ्रांस और भारत के बीच सितंबर 2016 में 58 हजार 891 करोड़ रुपए की डील हुई, जिसमें 36 विमान खरीदने पर मंजूरी बनी। इस डील के 67 महीने बाद राफेल भारत को मिल रहे हैं। वायुसेना को जो पहला राफेल मिला था, वो एयरक्राफ्ट रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को पिछले साल 8 अक्टूबर को फ्रांस में दैसो एविएशन ने सौंपा था। उस एयरक्राफ्ट का टेल नंबर आरबी-01 था। आरबी वायुसेना प्रमुख राकेश भदौरिया का इनिशियल है जो उनके कंट्रीब्यूशन के लिए दिया गया है।
पिछले साल 8 अक्टूबर एयरफोर्स डे के ठीक तीन हफ्ते पहले आरकेएस भदौरिया को वायुसेना प्रमुख बनाने की घोषणा हुई। भदौरिया इस पोस्ट के मजबूत दावेदार थे। उनके अलावा जिनका नाम आगे था वो थे एयर मार्शल आर नाम्बियार, जो करगिल युद्ध लड़ चुके हैं और दूसरे एयर मार्शल बालकृष्णन सुरेश।
चूंकि इससे पहले जनरल बिक्रम और एडमिरल करमबीर सिंह के अप्वाइंटमेंट के वक्त सीनियॉरिटी को नजरअंदाज किया गया था तो एयरफोर्स चीफ चुनने में भी ऐसा कुछ होने की संभावना थी।, हालांकि भदौरिया इन दोनों ही ऑफिसर्स के सीनियर हैं। वे जून 1980 में कमिशन हुए थे, जबकि एयरमार्शल सुरेश दिसंबर 1980 और नॉम्बियार जून 1981 में।
एयर चीफ भदौरिया जब वायुसेना की फाइटर पायलट स्ट्रीम में कमिशन हुए तो नेशनल डिफेंस एकेडमी से उन्होंने स्वार्ड ऑफ ऑनर हासिल किया था। उनके पास 26 तरह के फाइटर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव है। उनके हिस्से 4 हजार से ज्यादा फ्लाइंग आवर्स भी हैं। वो एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट, कैट-ए क्वालिफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और पायलट अटैक इंस्ट्रक्टर भी हैं।