नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि सरकार आदिवासी समुदायों के वन उत्पादों के उत्पादन और विपणन को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार उनके उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ काम कर रही है। प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईफी) में प्रस्तावित मातृभाषा में पढ़ाई का सबसे अधिक लाभ हमारे जनजातीय समाज को होगा। भारत के वंचित वर्गों और जनजातीय समुदायों का उत्थान प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की प्राथमिकता है। आदिवासियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत वित्तीय आवंटन में काफी वृद्धि की गई है। 2022-23 में इसे बढ़ाकर 91,000 करोड़ रुपये कर दिया गया, जो 2014-15 में 19,437 करोड़ रुपये था। प्रधान ने कहा, उनके लिए शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए देश में एकलव्य विद्यालय खोलने के लिए धन दिया जा रहा है। प्रधान ने कहा कि लगभग 10 लाख आदिवासी लाभार्थी 55,000 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वन धन विकास केंद्रों से जुड़े हैं। इन केन्द्रों का उद्देश्य वनोपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, आदिवासियों को रोजगार उपलब्ध कराना तथा उनकी आय में वृद्धि करना है। प्रधान ने कहा कि सरकार उनकी उपज का उत्पादन बढ़ाने, पैकेजिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग में सुधार करने के लिए कदम उठा रही है, हम जनजातीय उत्पादों के लिए भी अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा, प्रधान ने कहा कि एक राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) की स्थापना की गई थी। साथ ही 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले गांवों में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 8 साल में आदिवासी कल्याण के लिए बजट में काफी बढ़ोतरी की। उन्होंने कहा कि आदिवासी मामलों के लिए 2014-15 में लगभग 19,437 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया जाता था जो कि आज 2022-23 में बढ़कर 91 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
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