नई दिल्ली। चिंतक-विचारक एवं भारत स्वाभिमान मंच के संयोजक केएन गोविंदाचार्य 9 सितंबर से दो अक्टूबर (गांधी जयंती) तक कोरोना संबं2749धित विधि निषेधों का पालन करते हुए गंगा के किनारे अध्ययन प्रवास पर रहेंगे। यह यात्रा देव प्रयाग से गंगा सागर तक होगी।

इस बारे में गोविंदाचार्य ने कहा कि राजनीति में सत्ता और संगठन में उनकी रुचि सन् 2000 में ही समाप्त हो गई थी। बावजूद यहां की प्रकृति और लोगों के लिए काम करना मैंने जारी रखा। उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत है यहां की प्रकृति, यहां का पर्यावरण, यहां के लोगों के मूल स्वभाव तथा भारत के अपने संसाधन। यही भारत की ताकत है। गैर राजनीतिक तरीके से भी समाजसत्ता के सामर्थ्य से अपना देश खड़ा हो सकता है। मैं ऐसा विश्वास करता हूं तथा अपने इसी विश्वास का अनुसरण करूंगा।

गोविंदाचार्य ने अपने जीवन में आये उतार-चढाव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने आज से 20 साल पहले 9 सितंबर 2000 को अध्ययन अवकाश लिया था। तब मैं संघ का प्रचारक एवं भाजपा का महासचिव था। उस समय पर देश और दुनिया आर्थिक करारों के दौर से गुजर रही थी। मैं चाहता था कि भारत जैसा देश इस दौर में सजगता एवं सावधानी बरतें क्योंकि हमारे पास अकूत साधन एवं अपार बौद्धिक क्षमता है। जब विचार शुरू हुआ तो इसके परिणाम स्वरूप जो स्थितियां बनी तो मैंने अध्ययन अवकाश का निर्णय ले लिया।

गोविंदाचार्य ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि भारत के प्रधानमंत्री मेरे प्रिय मित्र नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की है। वह स्वयं अपने निजी एवं राजनीतिक जीवन में भारत की व्यवस्थाओं को ठीक से समझ चुके हैं। मैं आत्मनिर्भर भारत के लिए उनकी सफलता के लिए कामना करता हूं।

उन्होंने कहा कि मैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एम.एस.सी. किया था। वहीं मुझे अध्यापन की नौकरी मिली एवं मुझे पी.एच.डी. के लिए ऑक्सफोर्ड की स्कॉलरशिप मिलने ही वाली थी कि मैं संघ का प्रचारक बन गया| तब मेरी आयु 21 वर्ष की थी।  बाद में विद्यार्थी संगठनों में कार्य किया फिर मुझे बीजेपी में लाया गया तथा 1988 से मैं भाजपा के महासचिव की हैसियत से अध्ययन अवकाश लेने तक काम करता रहा। मैं आज भी स्वयंसेवक हूं तथा मैंने अपनी जिंदगी का एक भी पल व्यर्थ नहीं होने दिया।

गोविंदाचार्य ने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत के प्रधानमंत्री मेरे प्रिय मित्र नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की है। वह स्वयं अपने निजी एवं राजनीतिक जीवन में भारत की व्यवस्थाओं को ठीक से समझ चुके हैं। मैं आत्मनिर्भर भारत के लिए उनकी सफलता के लिए कामना करता हूं।

उन्होंने कहा कि अब 9 सितंबर को मेरे अवकाश के 20 साल पूरे हो रहे हैं। इन 20 सालों में मैंने तीनों कार्य किए हैं : -1-अवलोकन 2-विमर्श 3-    क्रियान्वयन।  मुझे अपने इस 20 साल के कार्यकाल पर संतोष एवं गर्व है।

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