जयपुर। हिंदी तिथि के अनुसार पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती आज पौष कृष्ण अष्टमी (27 दिसंबर) को मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जयपुर में मनाई गई। ईसमें विशिष्ट अतिथि के नाते मालवीय जी के पौत्र न्यायमूर्ति एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरिधर मालवीय तथा मुख्य वक्ता के रूप में भारत अध्यन केंद्र BHU वाराणसी के अध्यक्ष प्रोफेसर राकेश उपाध्यय रहे। 

अपने संबोधन में प्रो राकेश उपाध्याय ने महामना के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को याद करते हुए कहा कि कैसे गरीबी तथा अत्यंत विपन्नता में जन्मे महामना एक वकील के नाते , एक पत्रकार के नाते, एक राजनीतिज्ञ के नाते तथा 3 बार कांग्रेस के अध्यक्ष के नाते जो सेवा की वह तो है ही उसके साथ साथ उन्होंने एक शिक्षा शास्त्री के नाते भारत को एक नई ऊँचाई एवम दिशा दी। अपने ओजस्वी भाषण में उपाध्याय जी महामना का वास्तविक रूप का चित्रण किया कि कैसे ईस्वर भक्ति के साथ वे नैतिक मूल्यों के प्रति, समाजिक समरसता के प्रति तथा देश के अखंडता के प्रति मजबूती से खड़े रहे।

महामना जलियांवाला बाग कांड के बाद अमृतसर के गांव गांव शहर शहर जा कर लोगों को संभाला सभी की जानकारी इक्कठा किये तथा न्याय दिलाने के लिए संकल्पित किया।

अपने आशीर्वचन में न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने महामना को एक स्वत्रंत्रता सेनानी तथा एक शिक्षाविद के रूप में याद किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के नाते पधारे प्रो. प्रभा शंकर शुक्ल, कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय शिलांग ने महामना को एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जनक बताया।

सभी अतिथियों के स्वागत उद्बोधन में संस्थान के निदेशक प्रो अजय पाल सिंह राठौड़ ने महामना के जीवन को याद किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राजकुमार व्यास ने किया तो वहीं संगोष्ठी का संचालन डॉ ऋषि तिवारी ने किया।

Show comments
Share.
Exit mobile version