देश भर में दस रुपए का सिक्का चल रहा है। शहरों में दुकानदार सहज रूप से ग्राहकों से सिक्का ले रहे हैं, लेकिन गांवों में सिक्का नहीं लिया जा रहा है। गांवों में अधिकांश दुकानदार दस का सिक्का स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इससे ग्राहकों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। इधर, बैंक प्रबंधकों का कहना है कि बैंक में दस का सिक्का सहज रूप से स्वीकार किया जा रहा है।
दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक ने दस रुपए का सिक्का जब से जारी किया है तब से इसके नकली होने की खबरे बार-बार सामने आती रही। जिससे लोगों में नकली होने का भ्रम घर करता चला गया। जबकि आरबीआई दस के सिक्के असली होने का कई बार स्पष्टीकरण दे चुकी है।
दस के सिक्के को अस्वीकार करने के हालात सबसे पहले बिहार में सामने आए थे। जब ये मामला संसद में भी उठा। उस समय भी आरबीआई ने ये स्पष्ट कर दिया था कि सिक्के मान्य है। इसके बाद दुकानदारों के साथ ग्राहकों में जागरूकता आई थी। अब काफी हद तक इसका विरोध बंद हो चुका है, लेकिन कुछ गांवों में आज भी लोग नकली के डर से इसे स्वीकार करने में कतरा रहे हैं।
उपखण्ड़ क्षेत्र के देवली कलां, रामपुरा, निम्बेड़ा, कुशालपुरा, पिपलिया कलां, बर, सेंदड़ा, गिरी सहित पहाड़ी क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में कई दुकानदार दस का सिक्का स्वीकार नहीं कर रहे हैं। वही काफी जगह ये भी देखने को मिल रहा है कि दुकानदारों से ग्राहक दस का सिक्का नहीं ले रहे हैं। यही हालात जिले के अन्य गांवों के भी है।

भारतीय वैध मुद्रा को लेने से इनकार करने पर राजद्रोह का मामला बनता है। जो दुकानदार या ग्राहक दस के सिक्के को लेने से इनकार करता है उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत मामला दर्ज हो सकता है।

दस रुपए का सिक्का पूर्णतया मान्य है। हम बैंक में ग्राहकों से स्वीकार करते हैं। ग्राहक एक दिन में 2500 रुपए तक की राशि दस रुपए के सिक्के के रूप में जमा करवा सकता है। दस के सिक्के को स्वीकार नहीं करना अपराध है। दुकानदारों व ग्राहकों को जागरूक बनते हुए दस का सिक्का स्वीकार करना चाहिए।

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