नई दिल्‍ली. राजस्थान में एक खुदाई के दौरान मिली सामग्री के अध्‍ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि 4 हजार साल पहले हड़प्पा सभ्यता के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन, मल्टीग्रेन ‘लड्डू’ का सेवन करते थे. इस रिसर्च से ये भी साफ हुआ है कि उस समय खेती योग्‍य जलवायु की स्थिति भी काफी अच्‍छी थी. ये रिसर्च भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली ने बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइसेंज लखनऊ के साथ मिलकर किया है.

2017 में पुरातत्व स्थल की खुदाई के दौरान पश्चिमी हिस्से अनूपगढ़ में कम से कम सात ‘लड्डू’ खोजे गए थे. जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित इस खोज के मुताबिक 26 सौ ईसा पूर्व के ये लड्डू काफी सख्‍त हो चुके थे और उन्‍हें पूरी तरह से संरक्षित कर रखा गया था. शोध में शामिल बीएसआईपी के वैज्ञानिक राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि इन सभी लड्डुओं को काफी अच्‍छी तरह से रखा गया था. अगर ये लड्डू टूट जाते तो पूरी तरह से नष्‍ट हो जाते. ये लड्डू कीचड़ के साथ संपर्क में होने के चलते अंदरुनी कार्बनिक पदार्थ और हरे घटक सुरक्षित थे.

उन्‍होंने कहा कि इन लड्डुओं के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए जब उन पर पानी डाला गया तो वह बैंगनी रंग में बदल गए. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने लड्डू के सैंपल को वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए बीएसआईपी के हवाले कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि घाघरा नदी किनारे खुदाई में मिले लड्डू का संबंध किसी रहस्मयी गतिविधियों से है. दरअसल इन लड्डुओं के पास से कुल्हाड़ी और मूर्तियां भी पाई गई थीं.

बीएसआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक अंजुम फारूकी ने जब इन लड्डुओं की जांच की तो पता चला कि ये जौ, गेहूं, काबुली चना और तिलहन से तैयार किए गए हैं. बता दें कि सिंधु घाटी सभ्यता के शुरुआती लोग मुख्य रूप से कृषक थे. प्रोटीन वाले शाकाहारी सामग्रियों के साथ इन लड्डुओं की बनावट का कुछ मतलब है.

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