वाशिंगटन डीसी। वाशिंगटन डीसी में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर भारतीय राजदूतावास ने हिन्दी की निशुल्क कक्षाएं आरंभ की। इन कक्षाओं में अमेरिका, फ्रांस, इटली, जमैका, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटिश, फिजी आदि 10 देशों के 65 छात्रों ने भाग लिया।

भारत के कार्यवाहक राजदूत अमित कुमार एवं अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति के हरिहर सिंह ने दीप प्रज्वलित कर विश्व हिंदी दिवस समारोह का शुभारंभ किया। भारत के राजदूत अमित कुमार द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व हिंदी दिवस के संबंध में भेजा गया संदेश पढ़कर सुनाया।

राजदूत अमित कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय राजदूतावास में नियुक्त भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ मोक्षराज विगत 2 वर्ष से न केवल राजदूतावास परिसर में हिन्दी की कक्षाएं ले रहे हैं, बल्कि वे जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी व जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में भी हिंदी कक्षाएं ले चुके हैं, जिसकी प्रशंसनीय प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही है। कुमार ने कहा कि अमेरिका में नौ लाख से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं और यहां के कई विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है।

दक्षिण अफ्रीका के राजदूतावास से पधारी जामा नगवाने ने कहा कि हिन्दी एक विश्वव्यापी भाषा है। हम हिन्दी के माध्यम से ही भारत की मूल संस्कृति और वास्तविक इतिहास को जान सकते हैं।

भारतीय राजदूतावास में नियुक्त भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ मोक्षराज ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व के अनेक देशों में हिन्दी प्रचार के लिए जो कार्य हुए उनमें 1880 से 1920 का समय विशेष महत्वपूर्ण है। डीएवी कॉलेज लाहौर के संस्थापक महात्मा हंसराज की प्रेरणा से 1905 में भाई परमानन्द ने दक्षिण अफ्रीका नेटाल जाकर भारत की संस्कृति व हिन्दी प्रचार की बागडोर संभाली तथा उनके बाद स्वामी शंकरानंद और स्वामी भवानीदयाल संन्यासी ने निष्ठापूर्वक इस काम को आगे बढ़ाया।

दक्षिण अफ्रीका में नागरी सभा व आर्य प्रतिनिधि सभा ने भारत की संस्कृति एवं हिन्दी भाषा प्रचार के लिए अत्यंत प्रशंसनीय कार्य किया। इसी प्रकार कांगड़ी गुरुकुल हरिद्वार के संस्थापक एवं शुद्धि आंदोलन के प्रवर्तक स्वामी श्रद्धानंद के समकालीन आर्य समाजी नेताओं ने सूरीनाम, फिजी, बर्मा, नेपाल, मॉरीशस, त्रिनिदाद गुयाना आदि देशों में हिन्दी प्रचार के लिए सुनियोजित ढंग से काम किया, जिसका परिणाम यह रहा कि इन देशों में आज लाखों लोग हिन्दीभाषी हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती के ये शिष्य हिन्दी को आर्यभाषा कहकर प्रचारित करते थे।

विश्व हिंदी दिवस के इस अवसर पर मैरिलैंड वर्जीनिया एवं वाशिंगटन डीसी से हिन्दी के अनेक विद्वान उपस्थित रहे , जिनमें मधु गोविल, मोनिका शर्मा , रेणुका मिश्रा, हरि बिंदल आदि के नाम प्रमुख रुप से शामिल हैं। साथ ही इस कार्यक्रम में जॉर्ज वाशिंगटन एवं जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के अनेक छात्र भी उपस्थित रहे।

विश्व हिन्दी दिवस एवं हिन्दी कक्षाओं के इस उद्घाटन कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति के डॉ हरिहर सिंह डॉ सतीश मिश्रा ने विचार व्यक्त किए। भारतीय राजदूतावास की हिन्दी कक्षाओं की पूर्व छात्रा टेलर ह्यूसन, स्टैफनी मेजिआ ने “हिंदी का वैश्विक प्रभाव” विषय पर प्रकाश डाला। ध्रुव शुक्ला ने हरिवंश राय बच्चन की “तुम मुझको कब तक रोकोगे” कविता सुनाई।

Show comments
Share.
Exit mobile version