New Delhi। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार का पावरहाउस बनने की क्षमता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुख अपने संस्थानों को नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ाएंगे, जिसका उपयोग औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

राष्ट्रपति मुर्मू आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो दिवसीय आगंतुक सम्मेलन-2023 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए अपनी बात रख रही थीं। राष्ट्रपति ने अपने समापन भाषण में कहा कि इस सम्मेलन का विषय और उप-विषय हमारे देश के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए बेहद प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत विचार सारगर्भित और कार्यरूप देने के दृष्टिकोण से प्रेरित हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि नीति की सार्थकता उसे व्यवहार में लाने में ही सिद्ध होती है। नतीजे और परिणाम साबित करते हैं कि नीति प्रभावी ढंग से लागू की गई है। उदाहरण के लिए, ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के माध्यम से भारतीय समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस पहल के नतीजे बेहद प्रभावशाली रहे हैं। प्रभावी क्रियान्वयन एवं जनभागीदारी से बहुत कम समय में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी इसी तरह के परिवर्तनकारी और समावेशी परिणाम हासिल किये जायेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए ‘अंतरराष्ट्रीयकरण प्रयास और जी 20’ विषय पर चर्चा बहुत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ जी-20 देशों के साथ मिलकर वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है।

उप-विषय ‘अनुसंधान योगदान और मान्यता’ के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि नवाचार और अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास किसी राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रमुख प्रेरकों में से हैं। दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों और प्रौद्योगिकी संस्थानों ने नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है।

वे एक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं जो अनुसंधान और विकास का समर्थन करता है जिसे औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार का पावरहाउस बनने की क्षमता है।

उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारत में उच्च शिक्षा संस्थान मौलिक अनुसंधान की परंपरा को संरक्षित करते हुए स्टार्ट-अप, व्यावहारिक अनुसंधान और व्यावसायिक रूप से मूल्यवान नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में बदलाव कर रहे हैं।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुख अपने संस्थानों को नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ाएंगे जिसका उपयोग औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने विविधता, समानता, समावेशिता और कल्याण पर एक विशेष सत्र आयोजित करने की सराहना की और कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान न्याय, समानता, भाईचारे, व्यक्तिगत गरिमा और महिलाओं के लिए सम्मान के हमारे संवैधानिक आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए सबसे प्रभावी प्लेटफार्मों में से एक हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित देश अपने उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए भी जाने जाते हैं। दुनिया भर के छात्र उन देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में ऐसा रोडमैप दिया गया है, जिस पर चलकर हमारे उच्च शिक्षण संस्थान भी वैश्विक शिक्षा केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे उच्च शिक्षण संस्थान विश्व स्तरीय ज्ञान सृजन के केंद्र बनेंगे।

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