नई दिल्ली। कोरोना की इस महामारी के बीच वैक्सीन लगवाने पर काफी जोर दिया जा रहा है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड अभी यही दो वैक्सीन है जो लोगों को लगाई जा रही है।

वैक्सीन की डोज के बीच गैप को बढ़ाए जाने के बाद इसको लेकर बहस और भी तेज हो गई है। एक वैक्सीन के बीच गैप न बढ़ाकर पहले जैसा ही वहीं दूसरी वैक्सीन के बीच गैप आखिर क्यों बढ़ाया गया।

वैक्सीन के बीच गैप क्यों बढ़ाया गया इस पर डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कोवैक्सिन की पहली डोज के बाद ज्यादा एंटीबॉडी नहीं बनती। वहीं कोविशील्ड के पहले डोज के बाद अच्छी संख्या में एंटीबॉडी बन जाती है।

इस वैक्सीन पर अंतरराष्ट्रीय टीमों की रिसर्च के डेटा में पता चला कि दो खुराकों के बीच में 12 हफ्ते का अंतर होने से ज्यादा असर होता है। अमेरिका, पेरू और चिली में किए गए ट्रायल में पाया गया कि चार हफ्ते से ज्यादा के अंतराल पर दूसरी खुराक देने से 79% असर ज्यादा होता है। दूसरे देशों में डेटा से पता चला कि 6 हफ्ते बाद दूसरी खुराक देने से ज्यादा असर होता है। ब्राजील, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कि दूसरी खुराक 6-8 हफ्ते बाद देने से असर 59.9%, 9-11 हफ्ते बाद देने से 63.7% और 12 या उससे ज्यादा हफ्ते बाद देने से 82.4% असर देखा गया

 

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