इम्फाल। 4 जून 2015…यही वो तारीख थी जब मणिपुर (2015) के चंदेल जिले में भारतीय सेना पर इतिहास के सबसे बड़े हमलों में से एक हमला हुआ था। उग्रवादी संगठन एनएससीएन (के) ने घात लगाकर भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट के जवानों पर हमला किया। इस हमले में 18 जवान शहीद हुए थे और 15 घायल हुए थे। यह पहला ऐसा हमला था जिसमें उग्रवादियों ने पहली बार रॉकेट लॉन्चर्स का इस्तेमाल किया था।

करीब 50 हथियारबंद उग्रवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। हमले के बाद खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल उठे कि कैसे उन्हें इतनी बड़ी तादाद में उग्रवादियों के मूवमेंट का कुछ पता नहीं चला। अलगाववादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ने खुलेआम इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सक्रिय उग्रवादी संगठनों का एक गठबंधन है। उल्फा (आई) और एनएससीएन (खपलांग) जैसे संगठनों के साथ आने से इनकी क्षमता कई गुना बढ़ गई थी।

हमले के जवाब में भारत ने 9 जून 2015 को म्यांमार में सीमापार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। भारतीय सेना की कार्रवाई में एनएससीएन के 15-20 आतंकी मारे गए थे। इन्हीं आतंकियों पर सेना पर हुए हमले में शामिल होने का शक था। हालांकि म्यांमार सरकार इससे आज भी इनकार करती है कि 9 जून को उसकी सीमा में घुसकर भारतीय सेना ने ऐसी कोई कार्रवाई की थी।

हमले में ये जवान हुए थे शहीद
नायब सूबेदार राम सिंह, हवलदार प्रकाश चंद, हवलदार सतपाल भसीन, हवलदार सुनील कुमार शर्मा, हवलदार राजेश कुमार, हवलदार रणदीप सिंह, हवलदार जगवीर सिंह, लांस नायक रजनीश सिंह, सिपाही राम प्रसाद यादव, लांस नायक कुलदीप राज, सिपाही मनोज कुमार, सिपाही विजय कुमार, नायक अशोक कुमार, सिपाही विकास भारद्वाज, सिपाही सोहन सिंह, सिपाही मनजीत सिंह, क्राफ्ट्समैन भारतेश्वर पी, सिपाही जीतेंद्र कुशवाहा

 

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