तिरुवनंतपुरम। केरल के छह महीने की बच्ची जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) से जन्म के बाद से ही जूझ रहीं थीं उसने आज दम तोड़ दिया।

इलाज के लिए बड़ी राशि जुटाने के बावजूद उत्तरी कोझीकोड जिले में दुर्लभ आनुवंशिक विकार के कारण उसने दम तोड़ दिया। बता दें कि उसके लिए सिर्फ आधी राशि ही जुट पाई थी।

 

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मलप्पुरम जिले के पेरिंथलमन्ना के रहने वाले ऑटोरिक्शा चालक आरिफ के बेटे इमरान ने मंगलवार रात कोझीकोड के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली, जहां उनका जन्म के 17वें दिन से इलाज चल रहा था।

 

उनकी मृत्यु के कुछ दिनों बाद उदार लोगों द्वारा उनके इलाज के लिए दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक, जोल्गेन्स्मा ओनासेमनोगीन इंजेक्शन खरीदने के लिए क्राउडफंडिंग के माध्यम से कुछ करोड़ से अधिक जुटाए गए थे।

 

इंजेक्शन की एक खुराक की कीमत 18 करोड़ रुपये है। जिसमें से सिर्फ आधे रुपए ही जुटाए गए थे।

 

इमरान का परिवार विदेश से दवा आयात करने के लिए बाकी रकम जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन उम्मीद थी कि वे इसे जल्द ही किसी तरह पूरा कर लेंगे लेकिन ये संभव नही हो सका।

 

केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में इमरान के पिता की मुफ्त इलाज की याचिका के आधार पर जांच के लिए पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन करने का भी निर्देश दिया था।

 

शिशु के पिता ने इस महीने की शुरुआत में अपने बेटे के मुफ्त इलाज के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि दवा की कीमत लगभग 18 करोड़ रुपये थी और उसके पास उस तरह के पैसे जुटाने के लिए कोई साधन नहीं था।

 

उन्होंने यह दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि वह राज्य सरकार के समर्थन के बिना अपने बेटे का इलाज सुनिश्चित नहीं कर सकते।

 

हालांकि, राज्य सरकार ने अदालत में दायर एक बयान में कहा कि न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही केरल सामाजिक सुरक्षा मिशन (केएसएसएम) आरिफ के बेटे के इलाज/दवा की बड़ी लागत को वहन करने के लिए वित्तीय सहायता देने की स्थिति में है। जो वेंटिलेटर सपोर्ट पर था।

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