नई दिल्ली। 31 मई को लॉकडाउन का चौथा चरण खत्म हो रहा है। इसके आगे मोदी सरकार भविष्य की बड़ी भूमिका राज्यों पर ही छोड़ने का मन बना रही है। अधिकारियों ने कहा कि अब राज्यों को अधिकार दे दिया जाएगा कि वो 1 जून से अपने यहां लॉकडाउन के नियमों को कितना सख्त या सुविधाजनक बनाना चाहते हैं।
केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन और राजनीतिक आयोजनों के साथ-साथ मॉलों, सिनेमा हॉलों पर लगी पाबंदी कायम रख सकती है। साथ ही, वह अथॉरिटीज को आगे भी यह सुनिश्चित करने को कह सकती है कि लोगफेस मास्क लगाएं और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करें।
स्कूल पर राज्य लेंगे फैसला
जहां तक बात स्कूल खोलने और मेट्रो ट्रेन सर्विस बहाल करने की है तो इन पर गेंद राज्यों के पाले में डाला जा सकता है। हालांकि, धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी जाए या नहीं, इसका फैसला भी राज्यों पर छोड़ा जा सकता है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने हाल में कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि राज्य में मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों समेत अन्य धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी जाए।
11 शहरों पर होगा फोकस

कोरोना लॉकडाउन 5.0 मुख्य तौर पर 11 शहरों पर फोकस होगा। इसमें दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे, ठाणे, इंदौर, चेन्नै, अहमदाबाद, जयपुर, सूरत और कोलकाता। ये वे शहर हैं जहां कोरोना केस ज्यादा हैं।
15 जून तक स्कूल खुलना मुश्किल
स्कूल खुलना फिलहाल मुश्किल दिख रहा है। 15 जून तक स्कूलों और कॉलेजों को बंद ही रखा जा सकता है। वैसे भी राज्य सरकारें कह चुकी हैं कि स्कूल गर्मी की छुट्टियों के बाद ही खुलेंगे।

13 शहरों की समीक्षा
अधिकारी ने बताया, ‘अब से लॉकडाउन की हर 15 दिनों में समीक्षा होगी जिसमें राज्यों को ज्यादा तवज्जो दिया जाएगा।’ केंद्र सरकार चारों महानगरों- मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नै समेत 30 शहरों में बिगड़ते हालात को लेकर खासा चिंतित है। कैबिनेट सेक्रटरी राजीव गौबा ने गुरुवार को इन 30 में से 13 नगर निकायों को म्यूनिसिपल कमिश्नरों और जिलाधिकारियों से बात की और हालात का जायजा लिया।

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