नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को सख्त लहजे में कहा कि मलेशिया को भारत के आंतरिक मामलों पर तथ्यात्मक तौर पर गलत बयान देने से बचना चाहिए।

शुक्रवार को कुआलालंपुर समिट में शामिल होने आए मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर कहा था कि भारत में सब लोग 70 साल से साथ रहते आए हैं, ऐसे में इस कानून की आवश्यकता ही क्या थी।

विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर आए सख्त बयान में कहा गया है कि मलेशिया के प्रधानमंत्री ने एक बार फिर भारत के आंतरिक मामले पर बयान दिया है। भारत ने तीन देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को देश की जल्द नागरिकता देने का कानून बनाया है। इस कानून का देश के किसी नागरिक से कोई लेना-देना नहीं है और यह किसी भी धर्म के किसी भी भारतीय नागरिक को उसके अधिकारों से वंचित नहीं कर रहा है।

मंत्रालय ने कहा कि मलेशिया के प्रधानमंत्री का बयान तथ्यात्मक तौर पर गलत है। मलेशिया को भारत के आंतरिक मालमों पर बयान देने से बचना चाहिए।

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