नई दिल्ली। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को मनी लांड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वाड्रा की हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है, क्योंकि मनी ट्रेल सीधे-सीधे वाड्रा से जुड़ा हुआ है।
ईडी ने जस्टिस चंद्रशेखर की कोर्ट से कहा कि वाड्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 नवम्बर को होगी। ईडी की इस दलील का वाड्रा ने विरोध करते हुए कहा कि ईडी ने जब भी समन जारी किया है, वे जांच में शामिल हुए हैं। ईडी ने जो भी सवाल पूछा है उसका जवाब दिया गया है। वाड्रा के वकील ने कहा कि आरोप स्वीकार नहीं करने का ये मतलब नहीं होता है कि आरोपित असहयोग कर रहा है।
पिछले 24 सितम्बर को वाड्रा ईडी की याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दायर कर ईडी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं है, क्योंकि ईडी ने उनसे सभी दस्तावेज जब्त कर लिये हैं। वाड्रा ने कहा कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि बिना समन जारी किए ही वे ईडी के समक्ष पेश हो गए। उनकी विदेश में कोई संपत्ति नहीं है और न ही उन्होंने किसी डील में कोई रिश्वत ली है। ईडी ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं। ईडी का मकसद वाड्रा को लेकर कोर्ट और आम लोगों में केवल भ्रम फैलाना है।
पिछले एक अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने वाड्रा को अग्रिम जमानत दी थी तो ये शर्त लगाया था कि उन्हें देश के बाहर जाने के पहले कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। मामला वाड्रा की करीब 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड की संपत्ति की खरीद से जुड़ा हुआ है। उस मामले में ईसीआईआर के आधार पर ईडी वाड्रा से कई बार पूछताछ कर चुका है।
ईडी के मुताबिक लंदन की ये संपत्ति 12, ब्रायनस्टोन स्क्वायर में स्थित है। इस संपत्ति को संजय भंडारी 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड में खरीदी थी और उसे 2010 में 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड में ही बेच दी थी। भंडारी ने 65900 ब्रिटिश पाउंड इसके रेनोवेशन पर खर्च किया है। इसका साफ मतलब है कि उस संपत्ति का असली मालिक भंडारी नहीं था बल्कि रेनोवेशन का खर्च वाड्रा ने वहन किया था। इस मामले में वाड्रा ने अपनी सफाई में कोर्ट को बताया था कि इस केस के पीछे राजनीतिक वजह है।