कोकराझार (असम)। बोडो शांति समझौते के बाद पहली बार असम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आज दिल की गहराई से गले लगाने आया हूं। असम के मेरे प्यारे भाइयों-बहनों को नया विश्वास देने के लिए आया हूं। उन्होंने कहा कि आज मुझे वह माताएं-बहनें भी आशीर्वाद दे रही हैं, जिनका बेटा-भाई जंगलों में कंधे पर बंदूक उठाकर भटकता रहता था। मौत के साये में जीता था। आज वह अपनी मां की गोद में चैन की नींद सो रहा है। आज जिंदगी का रास्ता खुल गया है। मैं इंडिया के संकल्पों में शांतिप्रिय असम का, शांति और विकास प्रिय नॉर्थ ईस्ट का दिल की गहराइयों से स्वागत करता हूं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कोकराझार में बोडो शांति समझौते के मद्देनजर विजय उत्सव समारोह में हिस्सा लेते कहा कि उन्होंने कहा कि कल पूरे देश ने देखा किस प्रकार से गांव-गांव में आपने मोटर साइकिल रैलियां निकाली। पूरे क्षेत्र में दीप जलाकर दिवाली मनाई। उन्होंने कहा कि मैं कल देख रहा था कि सोशल मीडिया में भी चारों तरफ आपने जो दिए जलाए उसके दृश्य टीवी, सोशल मीडिया में संपूर्ण नजर आ रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह सिर्फ दिए जलाने की ही घटना नहीं है। बल्कि, यह पूरे क्षेत्र में नई रोशनी की शुरुआत है। आज का दिन उन हजारों शहीदों को याद करने का है जिन्होंने देश के लिए अपने कर्तव्य पथ पर जीवन का बलिदान किया। आज का दिन बोडोफा उपेंद्रनाथ ब्रह्म, रूपनाथ ब्रह्म जैसे यहां के सक्षम नेतृत्व के योगदान को याद करने का है। उनको नमन करने का है। आज का दिन इस समझौते के लिए बहुत सकारात्मक भूमिका निभाने वाला है। उन्होंने कहा कि ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (आब्सू), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड (एनडीएफबी) से जुड़े तमाम युवा साथियों, बीटीसी के प्रमुख हग्रामा महिलारी और असम सरकार की प्रतिबद्धता आप सब मेरी तरफ से अभिनंदन के अधिकारी हैं।

उन्होंने कहा कि मैं असम में बहुत बार आया हूं लेकिन आज जो उत्साह, जो उमंग आपके चेहरे पर देख रहा हूं, वह यहां के रंगारंग माहौल से भी अधिक संतोष देने वाला है। जो लोग राजनीतिक जीवन के पंडित हैं, वे जरूर इसके विषय में कभी न कभी कहेंगे कि आजादी के बाद के हिन्दुस्थान की सबसे बड़ी कोई पॉलिटिकल रैली हुई तो आज। यह काम आपने स्थापित कर दिया है। मोदी ने कहा कि कभी-कभी लोग डंडा मारने की बातें करते हैं लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर कितने भी डंडे गिर जाएं, उसको कुछ नहीं होता।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास के मुख्यधारा को मजबूत करना है। अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है। अब इस धरती पर किसी भी मां के बेटे का, किसी भी मां की बेटी का, किसी भी बहन के भाई का, किसी भी भाई की बहन का खून नहीं गिरेगा। नॉर्थ ईस्ट में शांति और विकास का नया अध्याय जोड़ना बहुत ऐतिहासिक है। ऐसे समय में बहुत ही सुखद संजोग है, जब देश महात्मा गांधी जी का 150वीं जयंती वर्ष मना रहा हो, तब इस ऐतिहासिक घटना की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। महात्मा गांधी कहते थे अहिंसा के मार्ग पर चलकर सभी को स्वीकार होता है। असम में अब अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही लोकतंत्र को स्वीकार किया है। भारत के संविधान को सिर आंखों पर बिठाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का दिन आप सभी बोडो साथियों का इस पूरे क्षेत्र के हर समाज और यहां के गुणी, बुद्धिजनों, कला, साहित्यकारों के प्रयासों को सेलिब्रेट करने का अवसर है। गौरव प्रदान करने का अवसर है। आप सभी के सहयोग से ही स्थायी शांति का यह रास्ता निकल पाया है। आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे को, एक नई प्रेरणा को वेलकम करने का अवसर है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 1993 में जो बोड़ो समझौता हुआ और 2003 में जो बोड़ो समझौता हुआ था, उसके बाद भी पूरी तरह शांति स्थापित नहीं हो पाई । अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोड़ो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस तरह से ऐतिहासिक समझौते पर सहमति जताई है और हस्ताक्षर किए हैं, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है। अब विकास ही हमारी पहली प्राथमिकता है और आखिरी भी वही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझ पर भरोसा करना, मैं आपका हूं। आपके बच्चों का उज्जवल भविष्य के लिए बंदूक, बम पिस्तौल छोड़ करके जब आप लौटकर के आए हैं तो ऐसी परिस्थितियों में शांति के रास्ते पर एक कांटा भी आपको न चुभे इसकी चिंता मैं करूंगा। पूरा हिन्दुस्थान आपके दिलों को जीत लेगा क्योंकि आपने रास्ता सही चुना है।

समझौते का लाभ बोडो जनजाति के साथियों के साथ ही दूसरे समाज के लोगों को भी होगा। क्योंकि, इस समझौते के तहत बोडो टेरिटोरियल काउंसिल के अधिकारों का दायरा बढ़ गया है और सशक्त किया गया है। इस समझौते में सभी की जीत हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समझौते के साथ वित्तीय क्षेत्र में आने वाली सीमा तय करने के लिए कमीशन बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को 15000 करोड़ रुपये का स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग बाक्सा और उदालगुड़ी जैसे जिलों को भी मिलेगा। इसका सीधा मतलब है कि बोडो जनजाति का अधिकार, भाषा, संस्कृति का विकास सुनिश्चित होगा। संरक्षण सुनिश्चित होगा।

उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक हर प्रकार की प्रगति होने वाली है। सरकार का प्रयास है असम समझौते की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। उन्होंने असम के लोगों को आश्वस्त किया कि इस मामले से जुड़ी समिति की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार तेजी से कार्रवाई करेगी। मुझे पूरा विश्वास है की बोडो टेरिटोरियल काउंसिल यहां के हर समाज को साथ लेकर, बिना कोई भेदभाव के सबको साथ लेकर विकास का एक नया मॉडल विकसित करेगी।

उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि पूर्वोत्तर के हमारे कुछ भाई-बहनों को बहकाया गया, जिसकी वजह से नॉर्थ ईस्ट में हजारों निर्दोष मारे गए। हजारों सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। लाखों बेघर हुए। पीएम ने कहा कि भड़काने का ही नतीजा है कि जिस नॉर्थ ईस्ट में औसतन हर साल 1000 से ज्यादा लोग उग्रवाद की वजह से अपनी जान गंवा देते थे। अब यहां लगभग पूरी तरह शांति है और उग्रवाद समाप्ति की ओर है। जिस नॉर्थ ईस्ट में लगभग हर क्षेत्र में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) लगा हुआ था। अब हमारे आने के बाद यहां त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश के ज्यादातर हिस्से आफस्पा से मुक्त हो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि जिस नॉर्थ ईस्ट में उद्यमी निवेश के लिए तैयार नहीं होता था, अब यहां निवेश होना शुरू हुआ है। नए उद्यम शुरू हुए हैं। जिस नॉर्थ ईस्ट में अपने-अपने होमलैंड को लेकर लड़ाइयां होती थीं, अब यहां एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना मजबूत हुई है। जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं। जिस नॉर्थ ईस्ट में देश के बाकी हिस्से के लोग जाने से डरते थे, अब उसी को अपना नेक्स्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने लगे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवर्तन कैसे आया, एक दिन में नहीं आया। यह पांच साल के अथक परिश्रम का नतीजा है। पहले नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को अलग नजरिये से देखा जाता था। आज उनको विकास के ग्रोथ इंजन के रूप में देखा जा रहा है। पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को दिल्ली से बहुत दूर समझाता था। आज दिल्ली आपके दरवाजे पर आकर आपके सुख दुख को सुन रही है।

मुझे असम के लोगों से बात करनी थी तो दिल्ली में बैठकर संदेश नहीं भेजा बल्कि, आपके बीच आकर आपकी आंखों में आंखें डाल करके आज मैं आपसे जुड़ रहा हूं। अपनी सरकार के मंत्रियों के लिए तो बकायदा मैंने रोस्टर बनाकर हमने सुनिश्चित किया कि हर 10-15 दिन में केंद्र सरकार का कोई न कोई मंत्री नॉर्थ ईस्ट में अवश्य जाएगा। रात को रुकेगा। लोगों से मिलेगा। उनका सुख-दुख सुनेगा। समस्याओं का समाधान करेगा। यह हमने करके दिखाया।

उन्होंने कहा कि हमारे साथियों ने प्रयास किया कि ज्यादा से ज्यादा समय यहां बिताए। ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलें, उनकी समस्या समझी, सुलझाएं। मैं और मेरी सरकार निरंतर आपके बीच आकर आपकी समस्याओं को जान रहे हैं। सीधे आपसे फीडबैक लेकर केंद्र सरकार की जरूरी नीतियां बना रहे हैं।

मोदी ने कहा कि 13वें वित्त आयोग के दौरान नॉर्थ ईस्ट को कुल मिलाकर 90 हजार करोड़ से कम मिलते थे। 14वें वित्त आयोग में हमारे आने के बाद यह बढ़ाकर लगभग तीन लाख करोड़ रुपये मिलना तय हुआ है। कहां 90 हजार करोड़ और कहां 3 लाख करोड़। पिछले 3 वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में 3000 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाई गई हैं। नेशनल हाईवे बनाए गए हैं। पूर्वोत्तर को ब्रॉडगेज में बदला जा चुका है। पूर्वोत्तर में नए एयरपोर्ट का निर्माण और पुराने एयरपोर्ट का मॉडर्न का काम भी तेजी से चल रहा है।

वाटर वे का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट में कितनी नदियां हैं। इतना व्यापक जल संसाधन है लेकिन 2014 तक यहां केवल एक वाटर वे था। पानी से भरे हुए 365 दिन बहने वाली नदियों को कोई देखने वाला नहीं था। अब यहां एक दर्जन से ज्यादा वाटर वे पर काम हो रहा है। पूर्वोत्तर के प्रशासन को मजबूत करने पर भी ध्यान दिया गया है।इसके अलावा दिल्ली और बेंगलुरु में काम हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नए-नए एयरपोर्ट हो या फिर इंटरनेट कनेक्टिविटी, जितना काम नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। हम दूसरों के पुराने लटके हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने के साथ ही उसे अब तेज गति से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।पिछले ही महीने नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों में चलने वाली अनेक योजनाओं को स्वीकृत दी गई है। बोगीबील पुल जैसे दशकों से लटके अनेक प्रोजेक्ट पूरे होने से लाखों लोगों को कनेक्टिविटी मिलती है, तब उनका सरकार पर विश्वास बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि आज देश में हमारी सरकार की ईमानदार कोशिशों की वजह से यह भावना विकसित हुई है कि सबको साथ लेने से ही देश का हित है। इसी भावना से कुछ दिन पहले ही गुवाहाटी में आठ अलग-अलग गुटों के लगभग 1650 लोगों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति का रास्ता चुना है। बड़ी मात्रा में विस्फोटक और गोलियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। शांति के लिए आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं के तहत रिहैबिलिटेट किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रुकावट डालने की राजनीति के माध्यम से देश के विरुद्ध काम करने वाली एक मानसिकता पैदा की जा रही है। जो विचार, जो प्रवृत्ति, जो राजनीति ऐसी मानसिकता को प्रोत्साहित करती है, ऐसे लोग न तो भारत को जानते हैं, न ही असम को समझते हैं। असम का भारत से जुड़ाव दिल से है। आत्मा से है। असम श्रीमंत शंकरदेव के संस्कारों को जीता है। उन्होंने कहा कि भारत के नवनिर्माण में असम ने अपना खून और पसीना बहाया है। यह भूमि आजादी के लिए त्याग और बलिदान करने वालों की भूमि है। आज हर सभी को यह बताने आया हूं। असम विरोधी हर मानसिकता को इसके समर्थकों को यह देश न बर्दाश्त करेगा, न देश कभी माफ करेगा। मोदी ने कहा कि देश के साथ ही पूरी ताकत से असम और पूर्वोत्तर में भी अफवाहें फैल रही है की सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) से यहां बाहर के लोग आ जाएंगे। बाहर से लोग आकर बस जाएंगे। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं, ऐसा कुछ भी नहीं होगा। मैंने असम में लंबे समय तक यहां के लोगों के बीच एक सामान्य भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम किया है। छोटे-छोटे इलाकों में मैंने दौरा किया है। अपने प्रवास के दौरान जब अपने साथियों के साथ बैठता था तो हमेशा भारत रत्न भूपेन हजारिका की गीत की पंक्तियां यहां के साथी अक्सर सुनाया करते थे और भूपेन हजारिका से मेरा एक विशेष लगाव भी है। मेरा जन्म गुजरात में हुआ है और भूपेन हजारिका मेरे गुजरात के दामाद हैं। इसका भी हमें गर्व है। उनके बेटे आज भी गुजराती बोलते हैं।

उन्होंने कहा कि बीते 5 वर्षों में भारत के इतिहास और वर्तमान में असम के योगदान को पूरे देश में पहुंचाने का काम हुआ है। पहली बार राष्ट्रीय मीडिया में असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट की कला-संस्कृति यहां के युवा टैलेंट, यहां की स्पॉटिंग कल्चर को पूरे देश और दुनिया में प्रमोट किया गया है। देश में भेदभाव को छोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि दुश्मनी की भावना छोड़ने और विकास की मुख्यधारा में सभी से मिलकर साथ आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने नौजवानों से हिंसा का रास्ता छोकर अहिंसा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया। साथ ही कहा कि वे विश्वास रखें आपके नए जीवन की शुरुआत होगी।

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