– जेवर एयरपोर्ट को दुनिया के 100 रणनीतिक ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया
– न्यूयॉर्क में 25 से 27 मार्च को आयोजित होगा 13वां ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर लीडरशिप फोरम
– अमेरिका का वित्त मंत्रालय आयोजित करता है लीडरशिप फोरम, यूपी को आया न्योता
लखनऊ। ग्रेटर नोएडा के जेवर में बन रहे नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की सफलता की कहानी अब न्यूयॉर्क में सुनी जाएगी। दरअसल जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण को वर्ष 2020 के लिए दुनिया के 100 रणनीतिक ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। इसमें पूरी दुनिया में एविशन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश (भारत) और यूगोस्लाविया को चुना गया है। सीजी एलए इन्फ्रास्ट्रक्चर की सूची में इसे मान्यता दी गई है।
प्रदेश सरकार के मुताबिक अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 25 से 27 मार्च को होने वाले 13वें ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर लीडरशिप फोरम में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जेवर एयरपोर्ट की सफलता की कहानी को पेश किया जाएगा। इसके लिए फोरम ने उत्तर प्रदेश सरकार को निमंत्रण भेजा है। दुनिया की तमाम कंपनियां जेवर एयरपोर्ट में निवेश करने की इच्छुक हैं। इस दौरान दो सेशन में यूपी को अपना प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करना है जिसमें सालों से अधर में लटके जेवर एयरपोर्ट के प्रोजेक्ट की कामयाबी की कहानी सुनी जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार के लिहाज से यह बड़ी उपलब्धि है।
जेवर तहसील के 6 गांवों रोही, परोही, किशोरपुर, दयानतपुर, रनहेरा और बनवारी की 1,334 हेक्टेयर जमीन का जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए पहले चरण में अधिग्रहण किया गया है। यह एयरपोर्ट एशिया का दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा। ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी इसका निर्माण कर रही है। एयरपोर्ट के पास एक शहर बसाया जाएगा। यहां घर, दफ्तर और बाजार सभी आसपास होंगे। क्लीन सिटी-ग्रीन सिटी की थीम पर बसने वाले इस शहर में यूरोपीय देशों का प्रभाव दिखेगा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार चीन को पछाड़कर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा एयरपोर्ट (जेवर) बना रही है। इसके पूरा होने पर यूपी की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी। रोजगार और व्यापार तो बढ़ेगा ही, साथ ही अन्य निवेशक भी उत्तर प्रदेश की ओर रूख करेंगे।
जेवर ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही औद्योगिक विकास को नए मुकाम पर पहुंचाएगा। 30 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से सरकार को एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की आय होने का अनुमान है। एक लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। इस एयरपोर्ट से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और यमुना एक्सप्रेस-वे के करीब एक लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा।
जेवर एयरपोर्ट के लिए 29 नवम्बर 2019 को फाइनांशियल बिड्स खोली गई थी जिसे ज़्यूरिख़ एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ने 400.97 रुपये प्रति यात्री राजस्व भुगतान की दर पर टेंडर हासिल किया। उत्तर प्रदेश में बनने वाला यह एयरपोर्ट दुनिया का 5वां सबसे बड़ा होगा। ग्रेटर नोएडा के जेवर में करीब 5000 हेक्टेयर में प्रस्तावित इस एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है। प्रस्ताव के अनुसार 2022-23 में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से फ्लाइट्स का संचालन भी शुरू हो जाएगा।
अभी चीन का शंघाई प्रांत का इंटरनेशनल एयरपोर्ट एशिया का दूसरा सबसे बड़ा एयरपोर्ट है। शंघाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लगभग 3988 हेक्टेयर में फैला है जबकि दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट सऊदी अरब में है। दामम के किंग फहद इंटरनेशनल एयरपोर्ट 77,600 हेक्टेयर जमीन पर बना है। इसके बाद अमेरिका के डेंवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नंबर आता है, जो 13,571 हेक्टेयर जमीन पर बना है। तीसरे नंबर पर अमेरिका का ही डलास इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो 6,963 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है। चौथे और पांचवें नंबर पर अमेरिका के ही ओरलैंडो इंटरनेशनल एयरपोर्ट और वाशिंगटन ड्यूलेस इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं जो क्रमशः 5,383 और 4,856 हेक्टेयर जमीन पर बने हुए हैं।
योगी सरकार का कहना है कि नोएडा इंटरनेशनल जेवर एयरपोर्ट को बनाने के लिए पिछली सरकारों के पास दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी रही, जिससे देश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट पिछले 20 वर्षों से अधर में था। वर्ष 2017 में यूपी में महज 4 एयरपोर्ट थे तथा कुल 25 गंतव्य स्थान हवाई सेवाओं से जुड़े थे। योगी सरकार ने एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाते हुए वर्तमान में 6 एयरपोर्ट चालू किये हैं जिनसे कुल 55 गंतव्य स्थानों के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं। प्रदेश में 11 एयरपोर्ट का विकास कार्य चल रहा है। यही नहीं अयोध्या और श्रावस्ती में देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए योगी सरकार अलग से एयरपोर्ट बनाने जा रही है।