नई दिल्ली| कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों में साइटोकाइन स्टॉर्म का खतरा बढ़ रहा है| ये एक ऐसी कंडीशन है जिसमें इंसान को कोरोना होने पर उसे ‘मल्टीपल ऑर्गेन फेलियर’ की शिकायत हो जाती है| यानी शरीर के प्रमुख अंग काम करना बंद कर देते हैं| कई मामलों में इंसान की मौत भी हो जाती है|

क्या है साइटोकाइन स्टॉर्म और कैसे करता है ये काम?

साइटोकाइन हमारी बॉडी के सेल्स यानी कोशिकाओं के अंदर एक तरह का प्रोटीन होता है| ये हमारे इम्यूनिटी रिस्पॉन्स सिस्टम का हिस्सा होता है, जो बाहरी रोगजनक वायरसों से हमारा बचाव करता है| साइटोकाइन स्टॉर्म का खतरा तब बढ़ता है जब हमारा इम्यून सिस्टम अनियंत्रित होकर साइटोकाइन का ज्यादा प्रोडक्शन करने लगता है|

शरीर में बढ़ी हुई साइटोकाइन हमारी ही कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देते हैं जिससे उन पर बुरा असर पड़ता है और शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं| ये एक तरह से हमारे इम्यून को ही शरीर का दुश्मन बना देता है| और ऐसा होने से अक्सर शरीर में ऑक्सीजन की कमी भी होने लगती है| डॉक्टर्स कहते हैं कि कोरोना मरीजों में इसकी संभावना दूसरे सप्ताह में सबसे ज्यादा होती है|

रिपोर्ट के मुताबिक, साइटोकाइन स्टॉर्म को जुवेनाइल आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून डिसीज में डेवलप होने के लिए जाना जाता है| फ्लू जैसा साधारण इंफेक्शन भी इसे शरीर में ट्रिगर कर सकता है और कैंसर के इलाज के दौरान भी ये जानलेवा हो सकती है|

 

ये समस्याएं होती है उत्पन्न

  • शरीर में साइटोकाइन के बढ़ने से दिल की धड़कनें अनियंत्रित हो सकती हैं और हार्ट अटैक की संभावना सकती है|
  • थ्रोम्बोसिस यानी रक्त वाहिकाओं में ब्लड क्लॉट की समस्या भी उत्पन्न कर सकता है|
  • शरीर में कई तरह के साइटोकाइन सेल्स डेथ को ट्रिगर करते हैं| जब आपके पास एक समय में ऐसी बहुत सी कोशिकाएं हो जाती हैं तो हमारे बहुत सारे टिशू (ऊतक) मर सकते हैं|
  • ज्यादातर टिशू हमारे फेफड़ों में होते हैं| जब इन टिशू को नुकसान होता है तो फेफड़ों की सतह पर मौजूद एयर बैग के लीक होने से वो फ्लूड से भर जाता है| इसी वजह से मरीजों को निमोनिया और ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होती है|

 हालांकि अभी बहुत से देशों में इसपर शोध चल रहा की कैसे साइटोकाइन स्टॉर्म को रोका जाए|

 

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