नई दिल्ली| पूरा देश कोरोना महामारी की बहुत ही खतरनाक दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है। इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के दौर के एक आदेश को 57 साल बाद फिर से लागू किया है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoP&T) ने 1964 के एक आदेश को लागू करते हुए मेडिकल की पढ़ाई कर चुके सरकारी कर्मचारियों को अपने खाली समय में मेडिकल सर्विस करने की इजाजत दे दी है।

हालांकि, इस बार के आदेश में एचओडी से किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। शर्त सिर्फ यह है कि मेडिकल सर्विस की वजह से कर्मचारी की मूल सेवा प्रभावित न हो।

इसी बीच केन्द्र ने देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए 12 मई को चिकित्सा क्षेत्र में मान्यता प्राप्त योग्यता वाले अपने कर्मचारियों को चिकित्सकीय कार्य करने या फोन पर उपचार संबंधी सलाह देने की अनुमति दे दी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू भी हो चुका है। डीओपीटी की ओर से जारी किए गए एक आदेश में किया गया कि ये कार्य खाली समय में और विशुद्ध रूप से धर्मार्थ कार्य के रूप में किए जाएं। इस काम को खाली समय में ही करने की इजाजत और इसके लिए अलग से कोई पैसा नहीं मिलेगा|

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