नई दिल्ली। अग्निपथ योजना लागू करने के बाद सरकार की आलोचना हो रही है। देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन कई ऐसे देश हैं जो पहले से ही अग्निपथ जैसी  लागू  कर चुके हैं।

अमेरिका के पास 14 लाख सैनिकों की फौज है। यहां भर्तियां एच्छिक आधार पर होती हैं। ज्यादातर सैनिक चार साल के लिए भर्ती होते हैं और अगर जरूरत होती है तो सैनिकों को चार साल का एक्सटेंशन दे दिया जाता है।

चीन में अनिवार्य रूप से सैनिकों की भर्ती की जाती है। हर साल यहां 4.5 लाख सैनिकों को भर्ती किया जाता है। चीन में युवा आबादी ज्यादा है इसलिए हर साल इस भर्ती के लिए 80 लाख लोग तैयार रहते हैं। इस आधार पर भर्ती होने वालों को दो साल सेवा का मौका दिया जाता है जिसमें से 40 दिन ट्रेनिंग दी जाती है।

फ्रांस में सैनिकों की भर्ती कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होती है।  इसके लिए भर्ती के कई मॉडल हैं। रूस में भर्ती के हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल होता है जिसके आधार पर सशस्त्र बलों में कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसके तहत एक साल की ट्रेनिंग के बाद एक साल सेवा का मौका मिलता है। इसके बाद उन्हें रिजर्व में रखा जाता है। इन्हीं लोगों में से परमानेंट सैनिकों की भी भर्ती की जाती है। इन सैनिकों को विश्वविद्यालयों में ऐडमिशन में भी छूट दी जाती है और सैन्य संस्थानों में भी पढ़ाई का अवसर दिया जाता है।

इजरायल में सभी को सेना में सेवा देना जरूरी होता है। पुरुषों को कम से कम 32 महीने और महिलाओं को 24 महीने की सेवा देनी होती है। इस सेवा के बाद उन्हें रिजर्व लिस्ट में रख लिया जाता है और कभी भी ड्यूटी पर बुलाया जा सकता है।

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